जीरो अबे नहीं जीव रो बैरी:काजरी ने लोकगीत से समझा किसानों का दर्द, रिसर्च से तैयार की जीरे की नई किस्म, एक माह पहले पकेगी, पानी, लागत, दवा कम लगेगी, मजदूरी भी बचेगी
कृषि वैज्ञानिकों की 3 साल की मेहनत रंग लाई, 130 की बजाय 100 दिन में ही मिल गई पैदावार Via राजस्थान | दैनिक भास्कर https://ift.tt/2YNY4zC
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