मकर सक्रान्ति पर दुर्लभ संयोग - टापरा

पुण्यकाल 15 को अमृत सिद्धि योग में-

 भगवान सूर्य देव 14 जनवरी सोमवार को रात्रि 7.52 बजे उतराषाढ़ा नक्षत्र के दूसरे चरण मकर राशि में प्रवेश करेगें। उस समय चन्द्र देव अश्विनी नक्षत्रमेष राशि में विचरण करेगें। इस अवधि में सिद्धि योग व बवकरण रहेगा।  सक्रान्ति का वाहन सिंह (शेर) उप वाहन हाथी है वार नाम व नक्षत्र नाम ध्वांक्षी है। जो उद्योगपतियों, व्यापारियों, आयात निर्यात करने वालो, शेयर कारोबारियों के लिये सुख फलदायक है।


सक्रान्ति का उत्तर दिशा की और गमन एवं ईशान कोण पर दृष्टि है। जिसके प्रभाव से देश के उत्तरी प्रांतों एवं उत्तरी क्षैत्रों  के लिए कष्टकारक योग बनेगें। देव जाति की यह सक्रान्ति शरीर पर कस्तूरी का लेप लगाकर सफेद वस्त्र पहने, पिरोज के आभूषण धारण कर पुनांग का पुष्प एवं माला पहने, हाथों में शस्त्र भाला लेकर सोने का पात्र लिये हुये अन्न का भोजन कर वैश्य के घर में प्रवेश कर रही है। जो 30 मुहूर्त वाली है जिससे सभी धान्य पदार्थो के भाव स्थिर रहेगें चावल, फल-फूल, सब्जी, सुगन्धित पदार्थ, सुत, कपास, वस्त्र, धातु, सोना-चांदी, सफेद वस्तुओं के भाव तेज होगें शेयर बाजार में तेजी आयेगी। संक्रान्ति रात्रि एक याम व्यापिनी होने से आतंकवादियों, हिसंक प्रवृत्ति वालों, देश द्रोहियों के लिये कष्ट कारक रहेगी।


मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध वेदों में सूर्य उपासना को सर्वोपरि माना गया है। जो आत्मा, जीव, सृष्टि का कारक एक मात्र देवता है जिनके हम साक्षात रूप से दर्शन करते है। सूर्य देव कर्क से धनु राशि में 6 माह भ्रमण कर दक्षिणयान होते है जो देवताओं की एक रात्रि होती है। सूर्य देव मकर से मिथुन राशि में 6 माह भ्रमण कर उत्तरायण होते है जो एक दिन होता है। जिसमें सिद्धि साधना पुण्यकाल के साथ-साथ मांगलिक कार्य विवाह, ग्रह प्रवेश, जनेउ, संस्कार, देव प्राण, प्रतिष्ठा, मुंडन कार्य आदि सम्पन्न होते है। सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते है इस सक्रमण को मकर सक्रान्ति कहा जाता है जिसमें स्वर्ग के द्वार खुलते है। मुहुर्त चिंतामणी के अनुसार सूर्य सक्रान्ति समय से 16 घटी पहले एवं 16 घटी बाद तक का पुण्य काल होता है निर्णय सिन्धु के अनुसार मकर सक्रान्ति का पुण्यकाल सक्रान्ति से 20 घटी बाद तक होता है किन्तु सूर्यास्त के बाद मकर सक्रान्ति प्रदोष काल रात्रि काल में हो तो पुण्यकाल दूसरे दिन माना जाता है।


इस वर्ष सक्रान्ति का शुभारंभ 14 सोमवार की रात्रि को 7.52 बजे होने से पंचागों की गणना अनुसार पुण्यकाल दिन में 1.28 बजे से होगा। किन्तु सक्रान्ति रात्रि एक यामव्यापिनी होने से ग्रन्थों के अनुसार सक्रान्ति का पुण्यकाल 15 जनवरी मंगलवार को सूर्योदय 7.21 बजे से दिन में 11.52 बजे तक रहेगा। जिसमें अमृत सिद्धि योग दोपहर 1.56 बजे तक एवं उपरांत रवि योग का अदभुत संयोग होगा। पुण्यकाल समय  में अमृत सिद्धि योग रवि योग में दान पुण्य स्नान आदि समस्त कार्य करने से हजार गुना फल मिलेगा।  पदम पुराण के अनुसार इस सक्रान्ति में ऋतुओं के अनुकूल वस्तुओं पदार्थो, तिल, गुड़, खिचड़ी, मिष्ठान, बर्तन, कपास, ऊनी वस्त्र आदि वस्तुओं के दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। भगवान सूर्य देव को लाल वस्त्र, गैंहू, गुड, मसूर की दाल, तांबा, सोना, सुपारी, लाल फल, लाल पुष्प, नारियल, दक्षिणा आदि दान करने से सामान्य दिन की अपेक्षा हजार गुना फल मिलता है।


सक्रान्ति का राशि अनुसार फल मेष, मिथुन, वृश्चिक राशि वालों को सोने के पाये में होने से शुभ फलदायक है। सिंह, धनु, मीन राशि वालों को चांदी के पाये होने से शुभाशुभ फलदायक  है। कर्क, तुला, कुंभ राशि वालों को तांबे के पाये मध्यम फलदायक है। वृष, कन्या, मकर राशि वालों को लोहे के पाये होने से न्यूनतम फलदायक है।


पंडित मुकेश दवे टापरा

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