सरकार की आठवीं कक्षा तक फेल नहीं करने के मशीनी नियम से गिर रहा बच्चों का शैक्षणिक स्तर
 प्रदेश की सरकारी स्कूलों का परीक्षा परिणाम बेहतर करने के लिए राज्य सरकार ने आठवीं तक किसी भी छात्र को फेल नहीं...
प्रदेश की सरकारी स्कूलों का परीक्षा परिणाम बेहतर करने के लिए राज्य सरकार ने आठवीं तक किसी भी छात्र को फेल नहीं करने का प्रावधान कर रखा है। दरअसल, इसी फरमान का नुकसान बच्चों को झेलना पड़ रहा है। हाल यह है कि प्रदेश में तीसरी से पांचवीं कक्षा तक के 65% बच्चों का स्तर दूसरी कक्षा के लेवल का मिला। वहीं छठी से आठवीं कक्षा के 60 से 70% बच्चे चौथी कक्षा के गणित के सवाल हल नहीं कर सके। तीन माह तक 33 जिलों के किए गए सर्वे के बाद एनजीओ असर की ओर से करीब दो सप्ताह पूर्व इसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी गई है। इसके आधार पर आगामी ग्रीष्मकालीन शिक्षक प्रशिक्षण शिविर में कुछ बदलाव भी देखने को मिलेंगे। 

सर्वे का आधार क्या 
दाेनों सर्वे का क्या उद्देश्य 
असर ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट, इसके आधार पर तय होगा ग्रीष्मकालीन शिक्षक प्रशिक्षण शिविर में बदलाव 

डाइट के सर्वे में तीसरी, पांचवीं व आठवीं के 55% बच्चे फेल 

बच्चों में लर्निंग आउटकम्स का पता करने के लिए भारत सरकार के आदेश के तहत जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) ने नेशनल एचीवमेंट सर्वे (एनएएस) 2017 के तहत 171 प्राथमिक, मिडिल, सेकंडरी व सीनियर सेकंडरी स्कूलों के 3001 बच्चों पर सर्व किया। तीसरी कक्षा के 40% बच्चे पर्यावरण व गणित के सवाल हल नहीं कर पाएं। वहीं पांचवीं कक्षा में 50% बच्चों को पर्यावरण विषय की किताब पढ़ना नहीं आया। आठवीं कक्षा में गणित विषय के 45%, साइंस में 41.77 और सामाजिक विज्ञान विषय के 42% बच्चे ही किताब पढ़ सके। 


पढ़ाई में रुचि जगाने के लिए 8 बदलाव 

असर की रिपोर्ट पर राज्य सरकार ने 5 साल पूर्व स्कूलों में रूम टू रीड यानी रीडिंग कैंपेन सहित 8 इनोवेशन शुरू किए, लेकिन परिणाम नहीं बदले। 

असर के सर्वे में बच्चे हुए फेल : एन्युअल स्टेटस आॅफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) ने दिसंबर 2018 में हुए सर्वे में जोधपुर की 30 स्कूलों में तीसरी से आठवीं कक्षा के 837 बच्चों और प्रदेश के 33 जिलों के 35 हजार बच्चों से हिंदी-गणित और पर्यावरण विषय संबंधी सवाल पूछे। 65% बच्चों का स्तर दूसरी कक्षा से भी नीचे मिला। 69.9% गुणा-भाग नहीं कर पाए। छठी से आठवीं कक्षा के बच्चाें से गणित के सवाल हल करने और चौथी की किताब पढ़ने को दी तो 70% फेल हो गए। 

हमने तैयार रिपोर्ट सौंप दी है 

हमने प्रमुख शासन सचिव को पूर्व रिपोर्ट दे दी है। रेंडमली स्कूलों का चयन कर 35 हजार बच्चों पर सर्वे हुआ। इसमें प्रदेश में तीसरी से पांचवीं कक्षा 81.1% बच्चों को गुणा-भाग करना नहीं आता, जबकि छठी से आठवीं कक्षा के 70% बच्चे किताब नहीं पढ़ सके। 

-रामकिशन, स्टेट इंचार्ज, असर एनजीओ, राजस्थान 

फिर सर्वे करवा स्तर जांचेंगे 
भारत सरकार के आदेश के तहत पहले चरण का सर्वे हुआ है। अब दूसरे चरण का सर्वे होगा। इसके तहत इन बच्चों से दुबारा हिंदी, गणित, विज्ञान व पर्यावरण विषय से संबंधित सवाल किए जाएंगे। दूसरे चरण के सर्वे के लिए फरवरी माह के दूसरे सप्ताह में डाइट के एक्सपर्ट को उदयपुर में ट्रेनिंग दी जाएगी। 

-रमा असनानी, प्रिंसिपल, डाइट, जोधपुर

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