देश की पैरामिलिट्री फोर्स ने आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ाना शुरू कर दिया है। पहले चरण में फोर्स ने एक हजार विदेशी प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल पर रोक लगाई है। केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार की सीएसडी कैंटीन में भी अब विदेशी सामानों की बिक्री नहीं होगी। फिर वो माइक्रोवेव हो या जूते, कपड़े हो या टूथ पेस्ट। फोर्स ने एक हजार विदेशी प्रोडक्ट्स पर पाबंदी लगाई है। एक जून से ही यह नया नियम लागू हो गया है।

पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया था। देशवासियों से अपील की थी कि वो स्वदेशी उत्पादों का इस्तेमाल करें। उसे बढ़ावा दें। इसके बाद गृह मंत्रालय ने अपने अधीन आने वाले विभागों और सशस्त्र बलों में स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने का फैसला लिया था। सेना भी इसी राह पर है। सेना प्रमुख ने पिछले दिनों कहा था कि वह कई विदेशी उत्पादों को सेना से बाहर कर रहे हैं।

इन उत्पाद पर अभी लगाई है प्रतिबंध
विदेशी कंपनी के फुटवियर, स्केचर, रेड बुल, ड्रींक, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, कपड़े, टूथ पेस्ट, हैवेल्स के प्रोडक्टस, हॉरलिक्स, शैंपू, बैग आदि कई विदेशी प्रोडक्ट्स पर रोक लगाई गई है। अब इनकी जगह केवल स्वदेशी उत्पाद इस्तमाल में लाए जाएंगे। कैंटीन में भी इन विदेशी प्रोडक्ट्स की बिक्री नहीं होगी। जवानों से भी अनुरोध किया गया है कि वो इनका पूर्णतय बहिस्कार करें।

10 लाख जवान, 50 लाख परिजन करते हैं प्रोडक्ट्स का इस्तमाल
पैरामिलिट्री फोर्स में सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी, एनएसजी, आसम राइफल्स के करीब दस लाख से ज्यादा जवान हैं। इनके परिवार के सदस्यों को मिला लें तो 50 लाख से ज्यादा लोग सेंट्रल पुलिस कैंटीन से खरीददारी करते हैं। अब ये लोग स्वदेशी उत्पादों की खरीददारी करेंगे। गृह मंत्रालय ने इसके लिए तीन कैटेगिरी बनाई है। सबसे ज्यादा प्राथमिकता उन प्रोडक्टस को दी जाएगी जो पूरी तरह से भारत में तैयार हुए हैं और भारतीय कंपनी के होंगे। दूसरी कैटेगिरी में उन्हें शामिल किया गया है जिनके रॉ मटेरियल्स इंपोर्ट होते हैं लेकिन उत्पादन भारत में होता है। इन दोनों कैटेगिरी के उत्पादों की बिक्री की मंजूरी है। तीसरी कैटैगरी में पूरी तरह से विदेशी उत्पाद को रखा गया है। जिसपर पाबंदी लगाई गई है।



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पैरामिलिट्री फोर्सेज में करीब 10 लाख जवान हैं। इनके परिवार के सदस्यों को मिलाकर यह संख्या 50 लाख हो जाती है। ये हर वर्ष करोड़ों की खरीददारी केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार से करते हैं।


source /national/news/india-army-canteenvocal-for-local-updates-1000-imported-products-delisted-from-kendriya-police-kalyan-bhandars-kpkb-127362827.html

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