राज्य सरकार के बजट में शामिल एलिवेटेड राेड, जाेजरी रिवर फ्रंट व कन्वेंशन सेंटर जैसी योजनाओं के लिए फंड की कमी से जूझ रहे जोधपुर को एक और झटका लगा है। रविवार को जोधपुर पहुंचे यूडीएच के प्रिंसिपल सेक्रेट्री भास्कर ए. सावंत ने इन सभी महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर करीब 3 घंटे का मंथन किया।

बैठक में जब जेडीए अफसरों ने इन विकास कार्यों को धरातल पर उतारने के लिए बजट की दलील दी तो सावंत ने हैरानी जताते हुए कहा कि जाेधपुर विकास प्राधिकरण प्रदेश का पहला प्राधिकरण है जो सरकार से शहर के विकास का पैसा मांग रहा है। आप लोग शहर के विकास से जुड़े सभी मसलों पर फाइनेंस डिपार्टमेंट की तरफ क्यों देखते हो? क्यों आप किसी बैंक लोन के लिए सरकार की गांरटी मांगते हो?


उनके ये शब्द सुनकर जेडीए अफसरों के चेहरों पर अजीब सी हलचल देखी गई। बैठक में वर्तमान में चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा के पहले एलिवेटेड रोड, जोजरी रिवर फ्रंट, कन्वेंशन सेंटर, शहर के पारंपरिक जलस्रोतों के सौंदर्यीकरण, सीवरेज-ड्रेनेज व सड़कों सहित कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर चर्चा की गई।

इन पर करीब 2,000 करोड़ से ज्यादा खर्च अनुमानित है, लेकिन जेडीए की माली हालत के चलते यह प्रोजेक्ट पूरे नहीं हाे पा रहे। ऐसे में बैंक-एजेंसी से लोन लेने या फिर सरकार से फंड लेने की कवायद पर प्रिंसिपल सेक्रेट्री नाराज नजर आए।

बैठक में संभागीय आयुक्त डॉ. समित शर्मा, कलेक्टर इंद्रजीत, जेडीए आयुक्त मेघराज सिंह रतनू, यूडीएच के संयुक्त सचिव द्वितीय त्रिभुवन, डीडीआर दलवीर सिंह ढड्‌ढा, निगम आयुक्त सुरेश ओला व रोहिताश्व सिंह तोमर भी उपस्थित रहे।

बद से बदतर हाेता जेडीए, प्रतिदिन की आय 20 लाख में सिमटी
3 फरवरी 2009 में तत्कालीन राज्य सरकार ने जोधपुर के नगर विकास न्यास को जोधपुर विकास प्राधिकरण का दर्जा दिया था। इसकी स्थापना का उद्देश्य जोधपुर शहर व उसके निकटवर्ती कतिपय क्षेत्र को मिलाकर जोधपुर रीजन बनाने और सुव्यवस्थित विकास करना था।

लेकिन पिछले 5-6 सालाें में जेडीए की आर्थिक स्थिति मजबूत होने की बजाय बद से बदतर ही होती जा रही है। इसी वर्ष मार्च में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के पहले तक रोजाना की रेवेन्यू 5 से 6 करोड़ रुपए की थी, लेकिन अब यह 15 से 20 लाख तक सिमट कर रह गई।

पहले सीवरेज व ड्रेनेज सिस्टम को सुधार लें, इसके बाद रिवर फ्रंट की बात करें
बनाड़ से लेकर सालावास तक करीब 31.7 किमी लंबे महत्वाकांक्षी जोजरी रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट पर लगभग 400 करोड़ खर्च प्रस्तावित हैं। इसकी समीक्षा के दौरान प्रिंसिपल सेक्रेट्री ने कहा कि आपके शहर का ड्रेनेज व सीवरेज पहले व्यवस्थित करें। इस पर उन्हें सीवरेज-ड्रेनेज पर चल रहे काम से अवगत करवाया। इस दौरान तीन प्रमुख बरसाती नाले नेहरू पार्क, भैरव नाला व आरटीओ नाले की निकासी जोजरी तक नहीं जुड़ने की बात सामने आई।

साथ ही बताया गया कि शहर के 37 इलाकों में जलभराव होता है। इस पर सांवत ने कहा कि पहले यह सीवरेज व ड्रेनेज को सुधार लें, इसके बाद रिवर फ्रंट की बात करें तो उचित होगा। बरसाती नालों को जोजरी से जोड़ने के लिए फंड पर उनका रूख सकारात्मक नजर आया।



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प्रिंसिपल सेक्रेट्री सावंत बैठक के बाद शहर में चल रहे कुछ प्राेजेक्ट काे देखने भी गए।
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