प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियां घाटे के लिए बिजली चोरी को जिम्मेदारी बता तक टैरिफ व फ्यूल सरचार्ज से उपभोक्ताओं से ज्यादा बिल वसूल रही है। लेकिन बिजली कंपनियों में कुप्रबंधन के कारण हो रहे नुकसान पर इंजीनियरों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। उपभोक्ता की बिजली गुल की शिकायत को सही व लूज जंपर को सही करने पर बिजली कंपनियां हर साल 50 करोड़ से ज्यादा खर्च कर रही है।

अकेले जयपुर शहर में पिछले सात साल से एक ही कंपनी को प्राइवेट कंपनी टेली परफॉर्मेंस (इनटेलनेट) कंपनी को कनेक्शन का तार सही करने के एवज में भुगतान हो रहा है। जबकि एक साल के खर्चे से स्प्रिंग लोडेड बॉक्स व कनेक्शन के जॉइंट पर एम-सील लगा कर इसका स्थायी समाधान हो सकता है। ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला का कहना है कि सिस्टम सुधार के लगातार प्रयास किए जा रहे है।

स्प्रिंग लोडेड बॉक्स व एम-सील से सुधर सकता है सिस्टम

बिजली कंपनियों से रिटायर्ड इंजीनियरों का कहनाहै कि बिजली कनेक्शन करते समय कर्मचारी तार को सही तरीके से जॉइंट नहीं कर पाते है। ऐसे में हवा चलते ही या बारिश होने पर ट्रिपिंग व फॉल्ट हो जाते है। ऐसे में बिजली कनेक्शन करते समय या दुबारा जांच कर जॉइंट पर एम-सील लगा सकते है। इसके अलावा एक स्प्रिंग लोडेड बॉक्स से 5 से 10 कनेक्शन दिए जा सकेंगे। इस बॉक्स में से ही सर्विस लाइन निकलेगी। तेज हवा चलने व बारिश में बार बार बिजली गुल होने व फॉल्ट से छुटकारा मिल सकेगा।



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