
पंचायतीराज चुनाव भले ही खत्म हाे गए, लेकिन जीते व हारे हुए प्रत्याशियाें व उनके समर्थकाें में अपने प्रत्याशी के प्रति जाेश, जूनून व सहानुभूति देखने काे मिल रही है। जीतने वाले प्रत्याशी के समर्थक जीत का जश्न मना रहे हैं ताे कड़े मुकाबले में हारने वालाें काे भी सहानुभूति मिल रही है।
डूमोली खुर्द में जहां गांव वालों ने हारने वाली प्रत्याशी का मनोबल बढ़ाने के लिए करीब सवा बारह लाख रुपए एकत्र कर आर्थिक सहयोग किया तो दोरासर में हारने वाले को एक साल का राशन तथा उसके बेटे के नौकरी लगने तक हर महीने पंद्रह हजार रुपए देने की घोषणा की है। गांव की सरकार के चुनाव में हारने वाले प्रत्याशी की इस तरह मदद करने का यह संभवत: अपने तरीके का पहला मामला है।
घोषणा : बेटे के नौकरी लगने तक हर महीने ग्रामीण 15 हजार रुपए देंगे
दरअसल, पहली बार वजूद में आई दाेरासर पंचायत में दलीप मीणा व माेबीलाल मीणा के बीच कड़ा मुकाबला था। दलीप मीणा 233 वाेटाें से जीत गए, लेकिन गांव वालों के बहुत आग्रह करने पर राशन डीलर का काम छाेड़ कर सरपंच का चुनाव लड़ने वाले खतेहपुरा निवासी माेबीलाल मीणा हार गए। ग्रामीणाें ने हार के बावजूद एक साल तक 15 हजार रुपए मासिक व सालभर राशन सामग्री देने की घाेषणा की।
ग्रामीणाें का कहना है कि माेबीलाल मीणा गांव में राशन वितरण कर अपनी आजीविका चलाते थे। ग्रामीणाें के आग्रह पर ही चुनाव लड़ने के लिए तैयार हुए थे। भले ही वे चुनाव नहीं जीत पाए लेकिन लाेगाें के दिल में अपनी जगह बनाई। इसी तरह डूमोली खुर्द में पराजित प्रत्याशी का मनोबल बढ़ाने के लिए गांव वालों ने जन सहयोग से राशि एकत्र कर सवा बारह लाख रुपए भेंट किए।
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