
हाथरस के दुष्कर्म मामले में पुलिस कार्रवाई की देरी पर सवाल उठाए जा रहे हैं। लेकिन ऐसे ही हालात भरतपुर में भी हैं। करीब साल भर में दर्ज हुए 52 फीसदी मामले पेंडिंग चल रहे हैं। शहर के थानों में साल भर में महिला उत्पीड़न के 240 मुकदमे दर्ज हुए हैं, जिनमें से 125 पेडिंग हैं।
यानी इन महिलाओं के लिए देरी एक और वेदना साबित हो रही है। क्योंकि इनमें कई मामले ऐसे हैं, जिनमें रिश्तों काे शर्मसार करने वाले थे, जिसमें निकट के रिश्तेदारों ने उत्पीड़न काे अंजाम दिया। अब जिला पुलिस अधीक्षक ने ऐसे मामलों में गति लाने के लिए महिला उत्पीड़न के मामले महिला थाने में ही दर्ज किए जाने की व्यवस्था की है ताकि मामलों को गंभीरता से निस्तारित किया जा सके।
ज्ञात रहे कि शहर को थानों में तमाम प्रकृति के मामले अधिक आते हैं। ऐसे में पुलिस उनमें ही उलझी रहती है। इस कारण महिला ज्यादती के मामले पेंडिंग रह जाते हैं। यानी महिला से अश्लीलता, छेड़छाड़, दुष्कर्म का प्रयास, दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म, अपहरण, दहेज प्रताड़ना हो या दहेज हत्या आदि मामले सीधे महिला पुलिस थाना में दर्ज होंगे। मथुरा गेट, कोतवाली, अटल बंध, उद्योग नगर, सेवर, चिकसाना थानों में महिलाओं के साथ हुए अपराधों से संबंधित मामले दर्ज नहीं होंगे।
अपर्याप्त है महिला थाने में नफरी, 80 मामलों की पहले से ही पेंडेंसी
महिला थाना में सीआई, एसआई, एएसआई, 3 हैड कांस्टेबल, 4 पुरुष कांस्टेबल एवं 10 महिला कांस्टेबल स्टाफ है। यहां रोजाना 4 से 5 मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। ऐसे में स्टाफ और संसाधन कम है। पोस्को एक्ट के मामलों का अनुसंधान पुलिस निरीक्षक ही कर सकता है, जबकि धारा 498 और धारा 376 के मामलों का अनुसंधान उप निरीक्षक।
इस प्रकृति के रोजाना औसतन एक से दो मामले दर्ज होंगे और इनके अनुसंधान के लिए मात्र दो ही अधिकारी हैं। ऐसे में जांच कार्य प्रभावित हो सकता है। क्योंकि यहां पहले से ही दर्ज करीब 125 मुकदमों में से 80 मुकदमे पेंडिंग चल रहे हैं।
महिला थानाधिकारी करणी सिंह ने बताया कि नए आदेश से रोजाना 4-5 मामले दर्ज हो रहे हैं। ऐसे में 3 पुलिस उप निरीक्षक, 5 सहायक पुलिस निरीक्षक, 5 हैड कांस्टेबल और 15 कांस्टेबल की नफरी और बढ़ाई जाए तो अनुसंधान के कार्य सहज हो सकेगा। एक स्थाई वाहन का होना भी जरूरी है।
महिला थाने में कौन सी प्रवृति के मामले कराए जा सकेंगे दर्ज
महिला थाना में सार्वजनिक रूप से अश्लील हरकत या गाने गाकर महिलाओं काे परेशान करने, दहेज हत्या, गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास, आत्म हत्या के लिए उकसाने का प्रयत्न, लज्जा भंग करने के आशय से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग, अपहरण, विदेश से किसी लड़की के लेकर आने, वेश्यावृत्ति प्रयोजन के लिए लड़की को बेचना, वेश्यावृत्ति प्रायोजन के लिए लड़की को खरीदने, महिला के साथ बलात्कार, संबंध विच्छेद होने के हालातों के दौरान पत्नी से जबरन शारीरिक संबंध बनाने, लोक सेवक द्वारा अपनी अभिरक्षा में किसी स्त्री के साथ शारीरिक संबंध बनाने, जेल प्रतिप्रेषण गृह आदि के अधीक्षक द्वारा किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाने संबंधी मामले भी अब महिला थाना में ही दर्ज किए जाएंगे।
इसके अलावा अस्पताल के प्रबंधक या किसी कर्मचारी द्वारा भर्ती महिला से शारीरिक संबंध स्थापित करने, पति या उसके रिश्तेदार द्वारा क्रूरता करने तथा कोई भी ऐसा कार्य जो शब्दों के माध्यम से या शारीरिक स्पर्श आदि के माध्यम से स्त्री का अनादर मामला महिला थाना में ही दर्ज किए जाएंगे।
आंकड़ों पर नजर
एनसीआरबी के अनुसार साल 2019 में रेप के सबसे ज्यादा मामले दर्ज करने वाले दस जिले में से आठ जिले राजस्थान के हैं। जयपुर में 507, भरतपुर 290, अजमेर 256, गंगानगर 248, अलवर 236, जोधपुर 231, बीकानेर 227 और बांसवाड़ा में 223 मामले दर्ज हुए हैं।
तेजी से होगी कार्रवाई
- महिला अत्याचार संबंधी मामले अब शहर के पुलिस थानों के बजाय महिला पुलिस थाना में ही दर्ज कराए जा सकेंगे। नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी थानों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। निश्चित रूप से महिला अत्याचार प्रकरणों में तेजी से कार्यवाही हो सकेगी। - डॉ. अमनदीप सिंह कपूर, एसपी
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