(निरंजन शुक्ला)
पांच साल के दाैरान गांवाें की सड़काें के नाम पर पैसा पानी की तरह बहा है। हाईवे से इतर सार्वजनिक निर्माण विभाग, कृषि उपज मंडी समिति, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क याेजना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण याेजना, सांसद व विधायक निधि से सड़कें बनती हैं। जिले में खनिज ट्रस्ट के पास ही खनन क्षेत्र में सड़कें बनवाने व दुरुस्त करवाने के नाम पर कराेड़ाें रुपए का बजट है। सरपंच से लेकर प्रधान व जिला प्रमुख तक काे निश्चित खर्च सीमा तक सड़क बनाने का अधिकार है। यानि गांव की सरकार चलाने वाले पंचायतीराज विभाग के पास भी बजट की कमी नहीं है। लेकिन सिस्टम की पेचीदगियाें ने मजबूर किया हुआ है। कई बार ग्रामसभाएं प्रस्ताव ले लेती हैं।


पंचायत से जिला परिषद की आमसभाओं में प्रस्ताव के बाद बजट की स्वीकृति पर काम अटक जाता है। भास्कर की ग्राउंड रिपाेर्ट में सामने आया कि पांच साल के दाैरान इन अलग-अलग मद में करीब 380 कराेड़ रुपए स्वीकृत हुए हैं और सड़कें बनी भी लेकिन सड़कें टूट जाने से लाेग उबड़-खाबड़ रास्ताें पर चलने काे मजबूर हैं। पुलिया या ताे बन नहीं रहीं या बरसात में टूट-फूट हाे गईं ताे सुधारी नहीं जा रहीं। जिले के गांव-कस्बों में ऐसे ही हालात हैं, जिनके चलते ग्रामीणों को परेशनी होती है।

बीगोद : पांच महीने मरम्मत चली, फिर भी मेनाली की पुलिया का काम अधूरा
त्रिवेणी से सिंगोली चारभुजा सड़क पर मेनाली नदी की पुलिया 2019 में मानसून के दाैरान नदी के उफान के साथ बह गई थी। जून में सार्वजनिक निर्माण विभाग मांडलगढ़ ने डेढ साल बाद 3 जुलाई 2020 काे पुलिया की मरम्मत का काम शुरू करवाया था। पांच महीने हाेने के आए मरम्मत का काम अभी भी चल रहा है। 27 गांवाें के लाेग परेशान हैं। वे कहते हैं, मरम्मत ऐसी हाे रही कि पानी का बहाव हाेने पर वापस समस्या आएगी। जबकि पुलिया नई और ऊंची बना दी जाए ताे समस्या का स्थाई समाधान हाे सकता है। नवनिर्माण का बजट अभी स्वीकृत नहीं हुआ है। मांडलगढ़ विधायक गाेपाल खंडेलवाल ने पुलिया नई बनाने का प्रस्ताव बनाकर विभाग काे भेज रखा है।

आसींद : 44 कराेड़ रुपए में 22 किमी सड़क बनी फिर भी कई गांव वंचित
पंचायत समिति क्षेत्र की 45 पंचायतों में 5 साल में विभिन्न मद से 22 किलोमीटर सड़क बनी। इन पर करीब 44 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। पंचायत समिति के एलईएन गोपाललाल टेलर ने बताया कि सड़काें से कई गांव लाभान्वित हुए हैं। इसके बावजूद अधिकांश सड़कें अभी पक्की नहीं हैं। कच्ची सड़काें पर वाहन चालकों तथा पैदल राहगीरों को परेशानी होती है। जालरिया पंचायत के लाेगाें ने बताया कि पंचायत क्षेत्र के खाती खेड़ा से ऊदा बा का खेड़ा, मरेवड़ा से पांडरू तथा मोहरा से जालरिया का रास्ता अभी तक कच्चा है। यहां पक्की सड़क नहीं बनने से ग्रामीणों को पंचायत मुख्यालय तथा आसपास आने-जाने में काफी परेशानी होती है।

शंभूगढ़ : खनिजाें से ओवरलाेड वाहनाें के कारण टूटा हुआ है हाईवे
जिला मुख्यालय तक बना भीलवाड़ा राेड आसींद क्षेत्र के कई गांव-कस्बों व बंक्यारानी शक्तिपीठ काे जोड़ता है। यह शंभूगढ़ के बीच से निकलता है। बरसनी तक 7 किमी सड़क टूटी है। जगह-जगह गड्ढे हाे चुके हैं, जबकि यह हाईवे का हिस्सा है। इसका कारण खदानाें से निकलने वाले ओवरलाेड ट्रेलर, डंपर व अन्य वाहन हैं। वाहनाें से गुजरात तक पत्थर जाता है। शक्तिपीठ पर मेवाड़, मारवाड़ के सैकड़ाें श्रद्धालु आते हैं। हाईवे के वाहन भी टोल बचाने के लिए शंभूगढ़ में घुस आते हैं। पूरे दिन वाहनाें के चक्काें के साथ धूल उड़ती है जिससे घर-दुकानाें में रहना मुश्किल हाे गया। सरपंच पारसीदेवी तेली का कहना है कि क्षतिग्रस्त मार्ग को माइंस मालिकों द्वारा मरम्मत करवाने का प्रयास किया जाएगा।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
380 crores shed like water in five years on roads, yet pit-broken culverts in village paths
Via Dainik Bhaskar https://ift.tt/1PKwoAf

Advertisement

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

 
Top