राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दो नवंबर को विधानसभा में प्रावधान बदलने के लिए तीन कृषि विधेयक पारित किए थे। एक महीने बाद भी इन विधेयकों में कोई प्रगति नहीं हुई है। राजभवन के अफसरों का कहना है कि 26 नवंबर को ही विधेयक मिले हैं, जिसका विधिय राय लेने के बाद राज्यपाल के स्तर पर अगला निर्णय किया जाएगा।
पहला विधयेक कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) राजस्थान संशोधन विधेयक 2020 है, इसमें किसान के उत्पीड़न पर सात साल तक की सजा और 5 लाख जुर्माने का प्रावधान है। दूसरा विधेयक कृषक ( सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार राजस्थान संशोधन विधेयक है।
इस विधेयक में संविदा खेती को लेकर कड़े प्रावधान है, किसान से एमएसपी से कम पर संविदा खेती का करार मान्य नहीं होने और एमएसपी से कम पर करार करने को बाध्य करने पर 7 साल तक सजा और 5 लाख जुर्माने का प्रावधान किया है। तीसरा विधेयक आवश्यक वस्तु (विशेष उपबन्ध और राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 है जिसमें सरकार कृषि जिंसों पर स्टॉक लिमिट लगा सकेगी इसका प्रावधान है। तीनों कृषि विधेयक पारित हो चुके हैं, जिसे मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया है।
आगे क्या : विधिक राय के बाद राज्यपाल लेंगे निर्णय
1. विधेयकों को राज्यपाल मंजूरी दे दे। ऐसे में यदि केंद्रीय कानूनों के खिलाफ होगा तो राज्य का एक्ट खुद ही खत्म माना जाएगा।
2. राज्यपाल विधेयकों को मंजूर करने के बजाय अपने पास ही लंबित रखे।
3. विधेयक में संशोधन करने का सुझाव देकर राज्य सरकार को वापस लौटा दे।
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