पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े अस्पताल मथुरादास माथुर में ऑक्सीजन प्लांट लगेगा। इसके बाद अस्पताल में सिलेंडरों से ऑक्सीजन सप्लाई में कमी आएगी। हर मरीज के बेड पर सीधे ऑक्सीजन मिल सकेगी। दरअसल कोविड मैनेजमेंट के तहत एनआरएचएम के मद में अस्पताल को ऑक्सीजन प्लांट की स्वीकृति मिली थी।
एमडीएम में ट्रोमा इमरजेंसी के पीछे ऑक्सीजन प्लांट बनाने की कवायद शुरू हो गई है। ऑक्सीजन प्लांट में लगने वाले टैंकर भी जयपुर तक आ गए हैं। निर्माण एजेंसी का कहना है कि अगले 15-20 दिन में ऑक्सीजन प्लांट बनकर तैयार हो जाएगा। एमडीएम अधीक्षक डॉ. एमके आसेरी ने बताया कि करीब एक करोड़ लागत वाले प्लांट की क्षमता 20 हजार किलोलीटर है। लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट लगने के बाद सिलेंडर से हो रही ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाएगी।
उम्मेद में स्वीकृत, फिर सभी बड़े हॉस्पिटल में होंगे प्लांट
- मेडिकल काॅलेज के अधीन आने वाले अस्पतालों में एमजीएच पहला अस्पताल है जहां लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट बनकर तैयार है।
- यह वर्तमान में कोविड मरीजों के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई भी कर रहा है।
- एमजीएच में लगे लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट की क्षमता 8 हजार किलोलीटर है।
- इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में एम्स जोधपुर में 10 और 20 हजार लिक्विड ऑक्सीजन की क्षमता के प्लांट लगे हैं।
- एम्स में मरीजों को ऑक्सीजन सप्लाई इन्हीं प्लांट के माध्यम से होती है।
- जानकारी के अनुसार उम्मेद हॉस्पिटल में भी लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट की स्वीकृति मिली है।
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