मारवाड़ के बाद भीलवाड़ा जिले में भी सौर ऊर्जा बिजली का नया विकल्प बन रही है। नए साल की यह तस्वीर रामपुरा अगूंचा माइंस की ओर से वेस्ट डंप की 120 मीटर ऊंचाई पर लगाए गए सौर ऊर्जा प्लांट की है। कचरे के ढेर पर इतनी ऊंचाई पर लगा प्रदेश का यह पहला प्लांट है। इसकी क्षमता 22 मेगावाट है। इसके अलावा कपड़ा फैक्ट्रियाें में लूमें भी साैर ऊर्जा से चलने लगी हैं। 100 कपड़ा फैक्ट्री में करीब 95 मेगावाट के प्लांट लग चुके हैं। सरकार की ओर से उद्याेगाें काे मिलने वाली बिजली की दर प्रति यूनिट करीब आठ रुपए है। साैर ऊर्जा से लागत करीब चार रुपए प्रति यूनिट आती है।
भविष्य: अभी 18%, 10 साल में देश की 63% सौर बिजली राजस्थान में बनने लगेगी
अभी प्रदेश में 9.6 गीगावाट बिजली उत्पादन है। पिछले वर्ष में 1.7 गीगावाट के नए प्लांट शुरू हुए, ये देश में सबसे ज्यादा हैं। इसी रफ्तार से राजस्थान में आने वाले 10 साल में 63% अक्षय ऊर्जा का उत्पादन होगा, अभी 57% कोयले व 18% अक्षय ऊर्जा से बिजली बन रही है। प्रदेश में सूरज खूब चमकता है। बड़ी संख्या में खेती योग्य नहीं रहने वाली भूमि है। इससे यहां बड़े सोलर पार्क लग सकते हैं।
इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी
सरकार ने नई इकाइयाें के लिए सात साल तक इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी फ्री की घाेषणा की लेकिन एक अप्रैल 2020 से 60 पैसा प्रति यूनिट ड्यूटी लगा दी। इससे छूट मिलनी चाहिए।
72% उत्पादन की ही अनुमति
प्रदेश में फैक्ट्री कैपेसिटी का 72% ही साैर ऊर्जा प्लांट लगा सकते हैं जबकि गुजरात में 100% है। उद्यमियाें की मांग है कि राजस्थान में भी 100% किया जाए ताकि उद्याेगाें की सरकारी बिजली पर निर्भरता खत्म हाे।
फायदे का गणित
- 8.00 रुपए प्रति यूनिट के करीब सरकारी दर से उद्यमियों को मिल रही है अभी बिजली। इससे केवल 4 रु. ही पड़ रही।
- 95 मेगावाट के प्लांट अब तक भीलवाड़ा की करीब 100 कपड़ा फैक्ट्रियों में लगाए जा चुके हैं।
- 350 कपड़ा फैक्ट्रियां हैं भीलवाड़ा जिले में। सौर ऊर्जा बिजली सस्ती होने से बाकी में भी लग सकते हैं।
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