आईआईटी दिल्ली ने साल 2020 में कोरोना काल में भी जेईई एडवांस्ड करवाकर करीब दो लाख रुपए बचा लिए, जबकि नॉन कोविड काल में एडवांस्ड करवाने वाली आईआईटी रुड़की व कानपुर एक रुपया तक नहीं बचा पाईं। चौंकाने वाली बात यह है कि रुड़की व कानपुर के पास जितना पैसा आवेदनों के जरिए आया, उतना ही पैसा एग्जाम में खर्च कर दिया गया।

साल 2019 में रुड़की व 2018 में आईआईटी कानुपर ने एडवांस्ड का एग्जाम करवाया था। उस समय कोविड नहीं था। साल 2020 की परीक्षा आयोजित करने के लिए आईआईटी दिल्ली को सेंटर्स बढ़ाने के साथ अतिरिक्त मैनपावर भी लगानी पड़ी थी। वहीं सैनेटाइजर और अन्य इंतजामों में भी काफी राशि खर्च हुई थी।

इसके बावजूद आईआईटी दिल्ली ने कुछ राशि बचा ली। 2018 में 1,60,716 स्टूडेंट्स परीक्षा के लिए रजिस्टर्ड हुए थे। साल 2019 और 2020 में रजिस्टर्ड छात्रों की संख्या इतनी ही थी। फीस में भी बहुत अधिक अंतर नहीं था। साल 2020 में आईआईटी दिल्ली के पास आवेदनों से कुल 34.84 करोड़ रुपए आए थे। जबकि एग्जाम्स में 34.82 करोड़ ही खर्च किए गए।

यानि लगभग दो लाख रुपए की बचत आईआईटी दिल्ली ने की। साल 2021 में आईआईटी खड़गपुर को जेईई एडवांस्ड की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जेईई मेन के बाद ही रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू होगी। रजिस्ट्रेशन जून में शुरू होने की संभावना है। हालांकि एडवांस्ड का ब्रोशर पहले ही जारी किया जा सकता है।

इसमें इस साल की फीस का पता चलेगा। हर साल आईआईटी सभी कैटेगिरी में क्वालिफाय करने वाले छात्रों की संख्या पहले ही निर्धारित करता है। यानि जनरल व आरक्षित कैटेगिरी के छात्रों की संख्या पहले ही निर्धारित कर दी जाती है। एडवांस्ड की रैंक के आधार पर छात्रों को देश भर की आईआईटीज में दाखिला मिलता है।

34.15 करोड़ आए, नौ करोड़ जोनल में ही खर्च

साल 2018 में जेईई एडवांस्ड का आयोजन करने वाले आईआईटी कानपुर को कुल 34.15 करोड़ रुपए मिले थे। ऑर्गेनाइजिंग और जोनल खर्चों को मिलाकर कुल 34.15 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसके तहत करीब 24 करोड़ रुपए ऑर्गेनाइजिंग एक्टिविटीज में और नौ करोड़ रुपए जोनल में खर्च हुए थे।

2019 में 35.50 करोड़ का खर्चा
साल 2019 में आईआईटी रुड़की ने एग्जाम करवाया था। आईआईटी रुड़की को आवेदनों से 35.50 करोड़ रुपए मिले थे। इतनी ही राशि एग्जाम करवाने में खर्च कर दी गई। सवाल यह है कि क्या आवेदनों से मिली राशि के अनुसार ही आईआईटी एग्जाम की तैयार करती है। आईआईटी रुड़की को इस साल कुल 35,50,02,253 रुपए मिले थे। ठीक यही राशि खर्च कर दी गई। एक रुपया भी ऊपर-नीचे नहीं हुआ। यह सबसे चौंकाने वाली बात है।

^आईआईटी दिल्ली ने खर्च की राशि बचाई है। लेकिन आईआईटी रुड़की और कानपुर ने पूरा का पूरा पैसा एग्जाम पर ही खर्च कर दिया। इस पर संदेह उत्पन्न होता है। यह थोड़ा आश्चर्यजनक भी है। जबकि आईआईटी दिल्ली ने तो विषम परिस्थतियों में परीक्षा करवाकर भी पैसा बचा लिया।

-विवेक पांडे एजुकेशन एक्टिविस्ट

इस साल सोशल डिस्टेंसिंग व सेंटर्स बढ़ाने से खर्चा बढ़ गया था, लेकिन अन्य खर्चों में काफी कटौती की गई। शिक्षकों को दी जाने वाली राशि में भी कटौती की गई थी। कुछ जोन में काफी छात्रों ने अप्लाय किया था। कोशिश थी कि जितना पैसा आए, उतने में ही एग्जाम हो जाए।
-प्रो. रामगोपाल राव डायरेक्टर, आईआईटी दिल्ली

34-35 करोड़ रुपए औसतन खर्च हो रहे हैं जेईई एडवांस्ड एग्जाम के आयोजन में पिछले तीन साल में।



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IIT Roorkee and Kanpur could not save even a single rupee, the amount spent for the application
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