बच्चे के अपहरण के आरोपी ने अपनी सगी बहन की शादी होने व खुद के इकलौते भाई होने की दुहाई देते हुए कोर्ट से आग्रह किया कि उसके पिता नहीं होने की वजह से उसे पिता व भाई दोनों की रस्में निभानी हैं, इसलिए 20 दिन की जमानत दी जाए।

अदालत इस तर्क से सहमत नहीं हुई और कहा कि ऐसा प्रकट नहीं होता है कि बहन की शादी में अदा की जाने वाली रस्मों के लिए आरोपी के अलावा अन्य कोई व्यक्ति नहीं हो। एडीजे संख्या 4 डॉ. मनोज जोशी ने जमानत देने से इनकार कर प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।

मामले के अनुसार परिवादी सियाराम जाजड़ा ने 12 मार्च 2016 को बनाड़ थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई कि उसका आठ साल का बच्चा भूपेंद्र सुबह साढ़े छह-सात बजे घर के बाहर खेल रहा था। एक सफेद कार में दो व्यक्ति आए और बच्चे को जबरदस्ती उठाकर ले गए। थोड़ी देर बाद अनजान व्यक्ति का कॉल आया, जिसे मेरी पत्नी ने रिसीव किया। मैंने मेरे पुत्र की तलाश की।

पुलिस ने आरोपी राजूसिंह उर्फ राजेंद्रसिंह सहित चार आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया। आरोपी राजूसिंह की ओर से जमानत प्रार्थना पत्र पेश कर कोर्ट को बताया कि उसकी बहन का विवाह 27 जून को होना है और वह उसका इकलौता भाई है।

उसकी शादी में शामिल होना आवश्यक है तथा भाई व पिता द्वारा निभाई जाने वाली सारी रस्में निभानी है, क्योंकि उसके पिता का निधन हो चुका है। अपर लोक अभियोजक शबनम बानो ने जमानत का कड़ा विरोध किया।

दोनों पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने अपनी बहन की शादी में रस्म निभाने के लिए 20 जून से 10 जुलाई तक अंतरिम जमानत मांगी है, लेकिन केवल यह कारण अंतरिम जमानत देने के लिए न्यायोचित नहीं है। ऐसा भी प्रकट नहीं होता है कि बहन की शादी में अदा की जाने वाली रस्मों के लिए आरोपी के अलावा अन्य कोई व्यक्ति नहीं हो। कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया।



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