इस बार आषाढ़ शुक्ल पक्ष के गुप्त नवरात्र 22 से 29 जून तक रहेंगे। इसमें विशेष पूजा अनुष्ठान होंगे। इस बार चैत्र नवरात्र में कोरोना के चलते लाॅकडाउन में अपनी कुलदेवी की पूजा उपासना नहीं कर सके वो गुप्त नवरात्र में पूजा कर सकते हैं।
वर्ष में 4 बार नवरात्रा आते हैं और दो बार गुप्त नवरात्रि ओर दो बार प्रकट नवरात्र आते हैं। माघ शुक्ल पक्ष में और शुक्ल आषाढ़ पक्ष में, इस प्रकार कुल मिलाकर वर्ष में 4 नवरात्र होते हैं। गुप्त नवरात्र विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इनमें विशेष तरह की इच्छा पूर्ति तथा सिद्धि प्राप्ति के लिए पूजा-अनुष्ठान किए जाते हैं।

साधना का है विशेष महत्व
ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया कि माघ और आषाढ़ में जो नवरात्र आते हैं उन्हें गुप्त नवरात्र कहते हैं। इसमें विशेष साधना व उपासना की जाती है। तंत्र-मंत्र-यंत्र के प्रयोजन के लिए साधना-सिद्धि का नवरात्रि गुप्त का अवसर बहुत विशेष माना जाता है। व्यवसाय में वृद्धि, रोजगार, रोग निवारण समेत अन्य मनोकामनाओं के लिए साधना की जा सकती है।

मंगल कार्य का महामुहूर्त
जून में इस बार खरीदारी और शुभ व मांगलिक कार्यों के लिए अति फलदायक रहेगी। गुप्त नवरात्र में 10 देवियों की आराधना के साथ खरीदारी, मांगलिक व शुभ कार्यों का विशेष महत्व रहेगा। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 23 जून को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का उत्सव मनाया जाएगा। 24 को बुधवार को पुष्य नक्षत्र रहेगा। 29 को भड़ल्या नवमी के अबूझ मुहूर्त पर शादियां होगी।



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