
(राजेंद्र गौतम) सीबीआई ने गैंगस्टर आनंदपाल एनकाउंटर काे अपनी जांच में सही मानते हुए काेर्ट में एफआर पेश की है। हालांकि, इससे पहले सीबीआई ने उन सभी पहलुओं की जांच की, जिनके आधार पर एनकाउंटर पर सवाल खड़े किए जा सकते थे।
एनकाउंटर 24 जून 2017 काे हुआ था और अमावस्या थी। सीबीआई ने एनकाउंटर के करीब 14 माह बाद 11 अगस्त 2018 काे अमावस्या की रात काे 11 बजे से 11:30 बजे के बीच सीन रिक्रिएट किया। इस दाैरान उसी अंदाज में फायरिंग की गई, जिस अंदाज में एसओजी व आनंदपाल के बीच मुठभेड़ हुई थी। ठीक उसी तरह से कांच के टुकड़े में आनंदपाल काे सीढ़ियाें से देखा गया, जैसा मुठभेड़ के दाैरान किया गया था।
सीबीआई ने माना कि पहली मंजिल पर कमराें केे सामने की हलचल काे सीढ़ियाें से कांच की सहायता से देखा जा सकता है। एनकाउंटर में 59 पुलिसकर्मियाें और अधिकारियाें में से 27 ने आनंदपाल पर 177 राउंड फायर किए थे। सीबीआई ने ठीक इसी तरह फायरिंग करने का सीन रिक्रिएट किया और अन्य तथ्याें की जांच के बाद माना कि आनंदपाल का एनकाउंटर रियल था।
आनंदपाल पर सबसे ज्यादा 30 राउंड फायर कमांडाे साेहन सिंह ने किए। बता दें कि सीएफएसएल रिपोर्ट के मुताबिक सोहन सिंह को लगी गोली आनंदपाल सिंह की एके 47 से चली थी। इसके अलावा तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारहट ने अपनी एके 47 से केवल दाे राउंड, तत्कालीन थाना प्रभारी राजवीर सिंह ने भी दाे, कुचामन सिटी सीओ विद्याप्रकाश ने 3, एसओजी में इंस्पेक्टर सूर्यवीर सिंह ने अपनी ग्लाेक पिस्टल 9एमएम से सात राउंड फायर किए थे।
आनंदपाल की एके 47 फायर माेड में मिली, हाथ में नाइट्राइट था यानी फायर उसी ने किए
एनकाउंटर में इस्तेमाल सभी हथियाराें की जांच सीबीआई ने सेंट्रल फाेरेंसिक लैब में करवाई थी। इसमें सामने आया कि कमांडाे साेहन सिंह के शरीर से निकाली गई गाेली आनंदपाल की एके 47 से चली थी। यह एके 47 रैपिड फायर माेड में थी।
घटनास्थल से जब्त खाली कारतूस आनंदपाल की एके 47 से चले थे। हालांकि, गाेली आनंदपाल ने चलाई या किसी और ने, इसकी जांच के लिए सीबीआई ने आनंदपाल के हैंडवाश कर सीएफएसएल में गन शाॅट अवशेष की जांच के लिए भेजे थे। जांच में सामने आया कि आनंदपाल के हाथों में नाइट्राइट माैजूद मिला यानी फायर उसी ने किए थे।
कई राजपूत नेता बयान देने नहीं पहुंचे, जाे पहुंचे, वे फर्जी मुठभेड़ के सबूत नहीं दे पाए
जिन राजपूत संगठनाें ने केंद्र काे पत्र लिखकर मामले की जांच सीबीआई से कराने काे कहा था, उनमें से कुछ बयान देने ही नहीं पहुंचे। कुछ संगठन बयान देने पहुंचे, लेकिन वे सीबीआई काे ऐसा काेई सबूत नहीं दे सके, जिससे साबित हाेता हाे कि आनंदपाल फर्जी मुठभेड़ में मारा गया।
सीबीआई ने सीकर पलसाना स्थित राजपूत समाज, रावणा राजपूत समाज, राजपूत क्षत्रिय संस्थान सूरतगढ़, क्षत्रिय शक्ति सेना उदयपुर, राष्ट्रीय अध्यक्ष अखंड राजपूताना सेवा संघ राजस्थान काे बयानाें के लिए बुलाया था।
59 पुलिसकर्मियाें के मोबाइलों का कॉल रिकाॅर्ड और लोकेशन भी बनी सबूत
सीबीआई के जांच अधिकारी पुलिस उपाधीक्षक सुनील सिंह व उनकी टीम ने एनकाउंटर में शामिल सभी 59 पुलिसकर्मियाें के बयानाें की सत्यता जांचने के लिए उनके माेबाइलों की लाेकेशन निकलवाई, कॉल रिकॉर्ड जांची।
एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियाें की एनकाउंटर के समय 24 जून 2017 काे टाॅवर लाेकेशन मालासर रतनगढ़ थी। एसओजी टीम के जो पुलिसकर्मी 21 जून से हरियाणा के सिरसा के शेरपुरा में कैंप कर रहे थे, उनकी टाॅवर लाेकेशन 21 जून से हरियाणा के सिरसा में ही थी। आनंदपाल के भाई विक्की व गट्टू ने आनंदपाल के बारे में सूचना दी थी। एसओजी की टीम ने विक्की व गट्टू काे 24 जून काे ही शाम करीब 6 बजे पकड़ा था।
चूरू जिले में 3 साल पहले हुआ था आनंदपाल का एनकाउंटर
एसओजी ने आनंदपाल काे 24 जून 2017 काे चूरू के मालासर में मार गिराया था। इसके बाद काफी बवाल हुआ। तत्कालीन राज्य सरकार के आग्रह पर सीबीआई ने 5 जनवरी 2018 को जांच शुरू की। अब एनकाउंटर को सही बताते हुए एसीजेएम (सीबीआई केसेज) कोर्ट में एफआर पेश की है, जबकि एनकाउंटर के बाद हुए दंगा मामले में आनंदपाल की बेटी सहित राजपूत समाज के 24 नेताओं व अन्य लोगों के खिलाफ शनिवार को ही चार्जशीट पेश की है।
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