नैनवां रोड स्थित जवाहर नगर हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी शहर की बड़ी कॉलोनियों में से एक है। यह दो वार्डों 35 और 36 में बंटी हुई है। वार्ड 35 के पार्षद संजय पांडे और 36 की मनीता दाधीच हैं। इस कॉलोनी में 600 से ज्यादा परिवार रहते हैं। काफी संख्या में किराएदार भी हैं। 5000 से ज्यादा आबादी है। कॉलोनी में सात पार्क हैं।
काॅलाेनी में पेयजल संकट, कचरे के ढेर, टूटे रैंप, उजड़े पार्क, अमृत पेयजल योजना में लाइनें बिछाने के लिए तोड़ी गई सड़कें, अमृत योजना के अधूरे कनेक्शन प्रमुख समस्याएं हैं। वार्ड पार्षद और नगरपरिषद के सभापति भी इसी कॉलोनी रहते हैं। सालभर पहले कॉलोनी में सीवरेज और अमृत पेयजल योजना की लाइनें बिछा दी गई थीं, पर घरों को नहीं जोड़ा गया।

लाइनें बिछाने के लिए तोड़ी गई सड़कों की मरम्मत नहीं की गई। टूटे रास्तों में बरसाती पानी भर जाता है। कीचड़ फैल जाता है। गंदगी भी समस्या है। जगह-जगह लगे कचरे के ढेर 10 दिन बाद भी नहीं उठते। कॉलोनी के कई हिस्सों में कचरा गाड़ी 4 से 5 दिन में एक बार आती है। जगह-जगह रैंप टूटे हुए हैं, मुख्य सड़क पर ब्रेकर नहीं, स्पीड से गाड़ियां गुजरती हैं।
^जवाहर नगर में सबसे ज्यादा काम हुआ है। कई सड़कें बनाई गई हैं। 1-2 गलियों की सड़क बनने जा रही थी, पर लॉकडाउन के चलते काम अटक गया। पार्कों की चारदीवारी भी बनवाई गई है। साफ-सफाई या अन्य कोई जनसमस्या सामने आती है तो उसे दूर कराएंगे। -महावीर मोदी, सभापति

काॅलोनी में 7 पार्क, एक भी डेवलप नहीं, वाॅकिंग कहां करें लोग
जवाहर नगर में 7 पार्क हैं, एक भी डेवलप नहीं है। इनमें दो-तीन पार्क कॉलोनीवासी अपने स्तर पर ही संभाल रहे हैं। जवाहर नगर के गौरव माहेश्वरी, दिव्यांशु, सतीश सेन कहते हैं कि पार्क डेवलप हों तो मॉर्निंग-ईवनिंग वॉक की जगह मिले। शहर में हालात गांव जैसे हैं। कॉलोनी बने 20 साल हो गए, पर मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। आठ-दस दिन से सफाईकर्मी आते हैं, नालियों का कचरा निकालकर वहीं छोड़ जाते हैं, जो वापस नालियों में भर जाता है। क्षेत्रवासी कहते हैं कि पार्षदों, सभापति और उच्चाधिकारियों काे समस्या बता चुके, पर कुछ नहीं हुआ।

पार्षद की भी सुनवाई नहीं होती, नगरपरिषद से काम शुरू कराया था, पर अधूरा छोड़ा
वार्ड 35 के पार्षद संजय पांडे और 36 की मनीता दाधीच का कहना है कि पार्कों के डेवलपमेंट को लेकर नगरपरिषद से काम शुरू भी कराया था, पर चारदीवारी अधूरी बनाकर छोड़ दी। 2018 में एक पार्क पं. दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर डेवलप करने के लिए 10-12 लाख रुपए मंजूर हुए।

ट्रैक, झूला-चकरी, लॉन, पौधे लगाने थे, दो साल हो गए, काम शुरू नहीं हुआ। सभापति-आयुक्त से जवाब मिलता है कि ठेकेदार को नोटिस दे दिया है। कॉलाेनी में पानी की दो टंकियां हैं, फिर भी गर्मी में जल संकट बढ़ जाता है। कॉलोनी के कई हिस्सों में अमृत योजना की लाइन डल गई, पर कनेक्शन नहीं हुए। कई बार प्रदर्शन भी कर चुके।

लोगों की पीड़ा पार्क की दीवारें तोड़ी

  • कृष्णा शर्मा बताती हैं कि घर के सामने पार्क था, चारदीवारी थी, लेकिन नगरपरिषद ने ध्यान नहीं दिया। अब तो दीवारों के पत्थर भी चुरा लिए गए। छह माह पहले नगर परिषद ने पार्क डेवलप करने के बहाने पहले की सारी दीवारें तोड़ डाली और दोनों गेट भी ले गई। फिर कभी इधर मुंह नहीं किया।
  • सुरेश खत्री ने बताया कि तीन साल पहले नगर परिषद ने यहां सड़क खोदी थी, फिर ठेकेदार नहीं लौटा। बरसात होते ही 15-20 मकानों के आगे कीचड़ फैल जाता है। घर के सामने पार्क की जगह पर पानी भरने से मच्छर पनपते हैं। सांप-बिच्छू घरों में घुस आते हैं।


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In the colony, population of 5 thousand, Chairman and two-two councilors are also here, yet roads are broken, not speed breakers, the park is uprooted, garbage cart comes in 5 days
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