जयपुर मेट्रो रेल कॉरपोरेशन में इन दिनों अधिकारी बनाम कर्मचारी विरोध चर्चा में है। दोनों में लड़ाई प्रमोशन को लेकर चल रही है। जयपुर मेट्रो में टेक्निकल और नॉन टेक्निकल स्टाफ को आठ साल से एक भी प्रमोशन नहीं दिया गया है।

ऐसा इसलिए क्योंकि जिस पॉलिसी के माध्यम से प्रमोशन दिया जाता है, मेट्रो प्रशासन ने अभी तक वो पॉलिसी ही नहीं बनाई है। जबकि हाल ही में मेट्रो प्रशासन पिछले लंबे समय से डेपुटेशन पर कार्य कर रहे अधिकारियों को स्थाई नियुक्ति देने के लिए अब्सॉर्प्शन पॉलिसी लाने की तैयारी कर रहा है। इसे वित्त विभाग ने मंजूरी भी से दी है।

इसलिए हो रहा विरोध

जयपुर मेट्रो में अभी 400 स्थाई कर्मचारी और 70 प्रतिनियुक्ति पर आए हुए अधिकारी कार्यरत हैं। मेट्रो प्रशासन जिस अब्सॉर्प्शन पॉलिसी को लागू करने की योजना बना रहा है, उससे मेट्रो के स्थायी कर्मियों का भविष्य प्रभावित होगा।

जयपुर मेट्रो संयुक्त कर्मचारी संघ के अध्यक्ष विकास श्रत्रिय एवं महामंत्री कुशल पाल यादव ने बताया कि इस पॉलिसी के जरिए प्रतिनियुक्ति (डेपुटेशन) पर आए अधिकारीयों का एक या दो प्रमोशन और हाई पे अलाउंस के साथ स्थायीकरण किया जाएगा। इससे घाटे में चल रही मेट्रो पर लगभग तीन करोड़ रुपए सालाना अतिरिक्त भार पड़ेगा।

प्रिंसिपल सेक्रेटरी के निर्देश भी हवा

बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग से पहले यूनियन प्रतिनिधियों ने प्रिंसिपल सेक्रेटरी नगरीय विकास भास्कर ए सावंत से इस संबंध में मुलाकात की थी। उन्होंने आश्वस्त किया था प्रमोशन पॉलिसी बनने के बाद ही अब्सॉर्प्शन पॉलिसी को लागू किला जाएगा। बावजूद इसके मेट्रो प्रशासन ने प्रमुख सचिव के निर्देशों को दरकिनार कर दिया।

  • कर्मचारियों से जुड़ी प्रमोशन पॉलिसी और अब्सॉर्प्शन पॉलिसी बिल्कुल अलग - अलग हैं। बोर्ड मीटिंग में इस बार प्रमोशन पॉलिसी और अतिरिक्त पदों के सृजन को शामिल किया गया है। अब्सॉर्प्शन पॉलिसी के माध्यम से काबिल अफसरों की निरंतर सेवाएं ली जा सकेंगी। साथ ही कुछ ही पदों को इस पॉलिसी के माध्यम से भरा जाएगा।

- डॉ समित शर्मा, सीएमडी,
जयपुर मेट्रो



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फाइल फोटो
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