बेन डूली/मकीको इनोए. कोरोनावायरस के खिलाफ जहां अमेरिका समेत दुनिया के कई ताकतवर देश बेबसनजर आ रहेहैं। वहां काम और पर्यटकों के लिए मशहूर जापान ने इस घातक वायरस के खिलाफ करीब-करीब जीत हासिल कर ली है। प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने देश मेंमहीने भर से जारी इमरजेंसी को हटा दिया है। दुनिया के कई हिस्सों मेंस्वास्थ्य अधिकारी लगातार टेस्ट की रट लगाएं हुए हैं, लेकिन जापान ने केवल गंभीर रूप से बीमार मरीजों की जांच की। जबकि मेडिकल एक्सपर्ट्स ने इस तरीके को लेकर चिंता जताई थी। उनका मानना था किइससे संक्रमण फैलेगा। हालांकि ऐसा नहीं हुआ।
सबसे कम मॉर्टेलिटी रेट
- दूसरे बड़े देशों के मुकाबले कोविड-19 के मामले में जापान में मॉर्टेलिटी रेट (मृत्युदर)काफी कम रहीहै। देश में अब तक 900 से कम मौतें हुईं। जबकि यूरोपीयदेशों और अमेरिका में यह आंकड़ा हजारों औरलाखों में है। यहां सरकार ने लोगों को कभी भी बिजनेस को बंद करने के लिए मजबूर नहीं किया। लेकिन कुछ लोगों ने यह कदम अपनी मर्जी से उठाया था।
 - पीएम आबे कहते हैं कि अनोखे जापानी तरीके को अपनाकर हम संक्रमण की लहर को लगभग पूरी तरह खत्म करने में सक्षम हुए हैं। यह जापान मॉडल।'हालांकि जापान की उस उपलब्धि के पीछे की वजह अब तक साफ नहीं है। आलोचकों का कहना है किजापान ने मौत के आंकड़े कम बताए हैं। कुछ ने चेतावनी दी है किआने वाले दिनों मेंसंक्रमण की सेकंड वेब सरकार के खुद के बधाई के दावों को कमजोर कर सकती हैं।
 
कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की मदद से संक्रमण रोकने में मिली कामयाबी
- टेस्टिंग के जरिए आम जनता के बीच संक्रमण रोकने के बजायजापान सरकार ने कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग पर फोकस किया। लोगों के रोजमर्रा की जिंदगी कोरोकने के बजाययहां सरकार ने सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर लोगों जागरूक किया। सरकार के उपायोंऔर लोगों के बदले व्यवहार के कारण यह काम संभव हुआ।
 - यूनिवर्सिटी ऑफ हॉन्गकॉन्ग के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ केनिदेशक कीजी फुकुदा बताते हैं किएक व्यक्ति के ऐक्शनछोटे लग सकते हैं। लेकिन सोशलडिस्टेंसिंग को पूरे देश में मिलकर लागू करने का प्रयास एक ठोस कदम हो सकता है।
 - एपिडेमियोलॉजिस्ट के मुताबिक वायरस की टेस्टिंग जरूरी है, क्योंकि इससे अधिकारियों को पॉजिटिव लोगों को आइसोलेट करने में मदद मिलती है। इसके अलावा यह पता करने में भी मदद मिलती है किकब स्कूल और दूसरी चीजें शुरू करनी हैं।
 
जापान के मुकाबले चीन ने अकेले वुहान मेंतीन गुना ज्यादा टेस्ट किए
हार्वर्ड के शोधकर्ताओं ने कहा था किलक्ष्य सभी हल्के बुखार के लक्षण वालों की जांच का होना चाहिए। साथ ही पॉजिटिव पाए गए व्यक्ति के औसत 10 कॉन्टेक्ट्स की जांच होनी चाहिए। चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने महामारी बढ़ने के साथ ही टेस्टिंग को भी बढ़ा दिया था। जापान ने 18 फरवरी से जितनी जांच देशभर में की थीं, इसके मुकाबले चीन ने वुहान में केवल एक दिन में तीन गुना से ज्यादा टेस्टिंग की थी।
अस्पताल के संसाधनों को भी बचाया
- जापान ने शुरुआत में लोगों से कह दिया था किजिन्हें संक्रमण का संदेह है तो वे अगर चार दिन तक तेज बुखार महसूस कर रहे हैं तो ही मदद मांगे। 65 साल से ऊपर के लोगों के लिए केवल दो दिन था। यहां तक की कुछ गंभीर मरीजों को भी मना कर दिया गया। इससे इस बात को बल मिला किसरकार असली समस्या को छुपा रही है।
 - मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना था किइस तरह की गाइडलाइंस अस्पतालों के संसाधनों को बचाने के लिए जारी कीगई थीं। संक्रामक रोग के नेशनल लॉ ने यह जरूरी किया किजो भी पॉजिटिव पाया गया है, उसे देश के आइसोलेशन वॉर्ड में रखा जाएगा। इसमें वे लोग भी शामिल थे, जिनमें लक्षण नहीं दिख रहे थे। कम टेस्टिंग के बावजूद पॉजिटिव मामलों की दर 1 प्रतिशत कम हुई है। सरकार के एक्सपर्ट पैनल का कहना है किवर्तमान टेस्टिंग स्तर काफी है।
 - जब से जापान ने बिना लक्षणों वाले पॉजिटिव लोगों को नियमों में रियायत दी है। तब से यह देश एंटीबॉडीज के लिए सीमित टेस्टिंग की तैयारी कर रहा है। उम्मीद की जा रही है किइससे संक्रमित लोगों की संख्या समझने में मदद मिलेगी। इसके अलावा कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के लिए स्मार्टफोन एप पर भी विचार किया जा रहा है।
 - जापान सरकार ने पहले यह कहा था कि टेस्ट किट का प्रोडक्शन बढ़ानाचाहिए, क्योंकि उनके पास इनकी सप्लाई कम थी। यह विवाद तब से खत्म हो गया है, जब जापान ने अपनी क्षमता की आधी किट का भी इस्तेमाल नहीं किया।
 
स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेताया: जापान के अनुभवों से कोई चीज तय न करें
सरकार समेत कई स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह चेतावनी दी है किजापान के अनुभव से कोई निष्कर्ष न निकालें। उन्होंने चेताया है किजापान अभी तक स्पष्ट नहीं है और संक्रमण की दूसरी और तीसरी लहर कभी भी स्ट्राइक कर सकती है। जैसे ही मौतों पर और आंकड़ा उपलब्ध होगा तो हो सकता है कितस्वीर इतनी अच्छी न लगे।
बताए गए आंकड़ों से 10 या 20 गुना ज्यादा हो सकते हैं संक्रमण के मामले
- कुछ एक्सपर्ट्सबताते हैं किजापान में बिना लक्षणों वाले लोगों की संख्या ज्यादा है। कोरोनावायरस पर सरकार के एक्सपर्ट पैनल के डिप्टी हेड शिगेरु ओमी ने कहा किसंक्रमण के मामले वर्तमान के मामलों से 10 या 20 गुना ज्यादा हो सकते हैं। जापान में कोरोना के 17 हजार से कम मामले आए थे।
 - फरवरी में क्रूज शिप डायमंड प्रिंसेस पर फैले संक्रमण ने अधिकारियों को परेशान कर दिया था। इसपर हुई प्रतिक्रिया को आपदा की तरह देखा जा रहा था, लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स ने इसे सीखने के मौके की तरह देखा।
 - एपिडेमियोलॉजिस्ट और पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स ने शिप से मिले डाटा को जापान में वायरस को रोकने के लिए फ्रेमवर्क की तरह इस्तेमाल किया। एक पब्लिक एजुकेशन कैंपेन के जरिए लोगों से "थ्री C" से बचने की अपील की। इसमें 'क्लोज्ड स्पेस विद पूअर वेंटिलेशन', 'क्राउडेड प्लेसेज' और 'क्लोजकॉन्टेक्ट' शामिल थे।
 
जागरूकता और सजगता को अपनाया
- टीवी टॉक शोज में भी होस्ट ने 'कोई भी सवाल खराब नहीं होता'दृष्टिकोण को अपनाया। उन्होंने वायरस के संबंध में दर्शकों की घबराहट और तनाव को शांत किया। इसके अलावा एक अच्छा फैक्टर पीएम आबे के स्कूल बंद करने का निर्णय था। पीएम ने फरवरी के अंत में किसी भी दूसरे देश से पहले यह फैसला लिया था। यह आइडिया शुरुआत में लोकप्रिय नहीं था।
 - हीरोशिमा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने सर्वे में पाया किइसने बर्ताव में एकदम तुरंत बदलाव देखने को मिला। स्टडी में पाया गया किघोषणा के बाद भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने वाले लोगों की संख्या दोगुनी हो गई।
 
अप्रैल में जब मामले बढ़ने लगे तो पीएम ने स्टेट ऑफ एमरजेंसी की घोषणा की थी। लोगों से केवल जरूरी यात्राएं करने के लिए कहा गया। अब जब जापान दोबारा शुरू हो रहा है तो कुछ एक्सपर्ट्स इस बात से डर रहे हैं कि लोग अपनी सुरक्षा को कम कर रहे हैं। हालांकि पीएम ने सोमवार रात को दी अपनी स्पीच में कहा कि, स्टेट ऑफ एमरजेंसी हटाए जाने का मतलब नॉर्मल लाइफ की ओर वापस जाना नहीं है।
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source https://www.bhaskar.com/coronavirus/news/japan-battles-corona-with-masking-and-social-distancing-according-to-critics-the-government-hide-the-death-toll-127362787.html
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