बाना का बास बेहनाड़ी के ग्रामीणों ने बरसाती पानी सहेजने के लिए नाडी खोदने की अनूठी मुहिम शुरू की है। यहां किसी तरह का जलसंकट नहीं है लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि दिनोदिन भूजल स्तर पेंदे बैठ रहा है। ऐसे में अभी से पानी सहेजेंगे तो आने वाली पीढ़ियों को पानी मिलेगा। भगीरथ विश्नोई ने बताया कि गांव में प्राचीन नाडी के साथ 90 बीघा पड़त, आगोर ,गोचर भूमि है।

झाड़ियां पनपने से नाडी में पानी की आवक कम हो गई। नाडी की गहराई भी मिट्टी भर जाने के चलते कम रह गई। पहले इस नाडी का पानी साल भर पीने के काम आता था। इस वर्ष ग्रामीणों ने जन सहयोग से बबूल झाड़ियां हटाने और नाडी को गहरा करने का निर्णय लिया।

ग्रामीणों के प्रयासों पर समस्त महाजन के गिरीश शाह, देवेंद्र जैन, रविंद्र जैन, हर नारायण सोनी तथा कुन्नाराम के सहयोग से निशुल्क जेसीबी मशीन व ऑपरेटर नाडी की खुदाई के लिए भेजे। इसके बाद ग्रामीणों ने भी 200 रुपए से लेकर हजार-हजार रुपए का सहयोग कर रहे हैं।

क्षेत्र के 20 परिवारों ने श्रमदान करने साथ अपने ट्रैक्टर लगाए हैं। विश्नोई ने बताया कि 4 दिन पहले ग्रामीणों ने विधिवत अभियान की शुरूआत की। अब पूरे दिन जोरों से काम चल रहा है। जेसीबी से माटी खोदकर पाल चौड़ी की जा रही है। 20 दिन में इसे पूरा करने का निर्णय लिया गया है।

वहीं आसपास की गोचर भूमि से अंग्रेजी बबूल हटाकर वहां पर पौधरोपण तथा हरे चारा के बीज बोए जाएंगे। इस कार्य में अमरसिंह राजपुरोहित, लादूराम सरपंच, बीरबलराम बाना ,मोडाराम गोदारा, पुरखाराम भंवाल, बाबूलाल सुथार, भीमराज पालीवाल समेत सभी ग्रामीण सहयोग कर रहे हैं।



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Nadi excavation work started with public cooperation, all Mahajan Sansthan provided JCB, villagers are arranging diesel and Shramdaan
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