
(आरिफ कुरैशी) प्रदेश में हर साल बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स 10वीं क्लास का फार्म भरने के बाद भी परीक्षा में नहीं बैठते। पिछले पांच सालों में ऐसे स्टूडेंट्स का आंकड़ा 1,30,877 तक पहुंच गया है। इसके साथ ही इन पांच सालों में 11,36,718 स्टूडेंट्स ऐसे हैं जो परीक्षा देने के बावजूद फेल हो गए। कुल मिला कर प्रदेश के 12,67,595 स्टूडेंट्स 10वीं की दौड़ से बाहर हो चुके हैं। यह चौंकाने वाले तथ्य बोर्ड की कक्षा 10वीं में 2016 से 2020 तक की परीक्षा के आंकड़ों में सामने आए हैं।
प्रदेश में शिक्षा की स्थिति का अंदाजा 10वीं कक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों से भी लगाया जाता है। इस परीक्षा के बाद ही तय हो पाता है कि कितने स्टूडेंट्स उच्च शिक्षा के लिए आगे बढ़ पाते हैं। लेकिन जो आंकड़े लगातार सामने आ रहे हैं, उससे साफ लग रहा है कि प्रदेश की शिक्षा में स्थिति बहुत ज्यादा अच्छी नहीं है।
हर साल प्रदेश के 10 लाख से अधिक स्टूडेंट्स 10वीं की परीक्षा के लिए फार्म भरते हैं। 2016 में परीक्षा के लिए फार्म भरने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 10,81,724 थी। जबकि यह संख्या 2020 में बढ़ कर 11,78,570 तक पहुंच गई। यानी इन पांच सालों में प्रदेश में 10वीं की परीक्षा के लिए फार्म भरने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 96,846 बढ़ी है। इन पांच सालों में परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों की संख्या 1,01,096 बढ़ी है।
5 साल में 42,95,537 पास
इन 5 सालों में कुल 54,32,255 स्टूडेंट्स ने 10वीं की परीक्षा दी। इनमें से पास होने वाले विद्यार्थियों की संख्या 42,95,537 है, जबकि 11,36,718 स्टूडेंट्स फेल हो गए। यदि फेल होने वाले और परीक्षा नहीं देने वाले विद्यार्थियों की संख्या मिलाई जाए तो यह आंकड़ा 12,67,595 स्टूडेंट्स तक पहुंचता है। यानी इन 5 सालों में 12,67,595 स्टूडेंट्स 10वीं नहीं कर पाए।
55,63,132 ने भरे फार्म
2016 से 2020 तक प्रदेश के कुल 55,63,132 स्टूडेंट्स ने फार्म भरे थे। इनमें से परीक्षा देने 54,32,255 विद्यार्थी ही पहुंचे। यानी 1,30,877 विद्यार्थी परीक्षा देने से पहले ही 10वीं की दौड़ से बाहर हो गए थे।
फॉर्म भरने के बावजूद परीक्षा में नहीं देते हजारों स्टूडेंट्स
बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल जितने स्टूडेंट्स फार्म भरते हैं, उनमें से एक बड़ी संख्या परीक्षा देने नहीं आती। वर्ष 2016 में सबसे अधिक 30,619 स्टूडेंट्स ने परीक्षा नहीं दी। परीक्षा नहीं देने वाले विद्यार्थियों की सबसे कम संख्या 23,670 सन 2018 में थी।
इससे पूर्व 2017 में 25,856, 2019 में 24,363 और 2020 में 26,369 विद्यार्थियाें ने परीक्षा नहीं दी। विशेषज्ञों का कहना है कि जो स्टूडेंट्स एब्सेंट रहे हैं उनमें अधिकांश परीक्षा तैयारी नहीं होने और स्वास्थ्य कारणों के चलते परीक्षा देने नहीं पहुंच पाते हैं। आठवीं बोर्ड तक किसी को भी फेल नहीं करने के नियम के चलते भी बहुत सारे बच्चे पढ़ने में कमजाेर रह जाते हैं। फिर वह दसवीं का फार्म भरने के बाद भी परीक्षा नहीं दे पाते।
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