अगर आप में जज्बा है तो हर कठिनाई बौनी है। यही मिसाल सच साबित की है खैरथल की कशिश बाबानी ने। एक निजी स्कूल की छात्रा कशिश को 10वीं बोर्ड परीक्षा से एक ठीक महीने पहले पैरालिसिस अटैक आया और शरीर के आधे हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। माता-पिता पर जैसे पहाड़ टूट पड़ा। वे समझ नहीं पा रहे थे कि इस मुश्किल से बच्ची कैसे पार पाएगी, मगर कशिश का हौसला इतना कमजोर नहीं था। उसने न तो खुद हिम्मत छोड़ी ना माता-पिता को निराश किया। बाेल न पाने के बावजूद इशारों से मां-पिता से कहा कि कुछ भी हो जाए पढ़ाई और मेहनत बेकार नहीं जाने दूंगी।
पिता शंकरलाल, मां कविता और स्कूल निदेशक पंकज खुराना, प्रिंसिपल आरती खुराना भी साथ खड़े हो गए। कशिश ने निष्क्रिय हुए एक हाथ व पैर के साथ ना केवल पूरी परीक्षा दी बल्कि 96.33 प्रतिशत अंक हासिल किए। कशिश ने बताया कि उसे टीवी देखना व सांस्कृतिक प्रोग्राम में भाग लेना अच्छा लगता है। वह डॉक्टर बनना चाहती है, ताकि तकलीफ में जीने वालों की मदद कर सके। कशिश नियमित 8 घंटे तक पढ़ाई करती थी।

कशिश का पैरालिसिस अभी ठीक नहीं हुआ है। वह एक हाथ से लिख लेती है, मगर बोलना मुश्किल है। इसलिए इशारों में अपनी बात माता-पिता को कहती है। पिछले चार महीने में मां-पिता भी उसकी बात समझने लगे हैं। इलाज जारी है और माता-पिता का इम्तिहान भी।



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खैरथल(अलवर). परीक्षा से ठीक पहले पैरालिसिस के बावजूद 10वीं परीक्षा में 96.33 अंक लाई कशिश बाबानी लिखकर बताती है।
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