
राजस्थान के तीसरे टाइगर रिजर्व मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 1982 तक बड़ी संख्या में टाइगर मिलते थे। इसके बाद कई कारणों से यहां से बाघ खत्म हाे गए। इसके लंबे समय बाद 9 अप्रैल, 2013 काे मुकंदरा काे टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। दो साल पहले यहां 3 टाइगर शिफ्ट किए गए।
इसी दाैरान टाइगर एमटी-3 खुद रणथंभौर से मुकंदरा आ गया, जिसकी पिछले दिनाें माैत हाे गई। हालांकि राहत की बात यह है कि अभी भी यहां तीन टाइगर और दो शावक बचे हैं। बाघिन एमटी-2 के दाेनाें शावक पूरी तरह स्वस्थ हैं। इनकी मॉनिटरिंग करने वाली टीम के सदस्यों के अनुसार ये दाेनाें इतने फुर्तीले हैं कि इनकी फाेटाे खींचना अपने आप में एक चुनाैती है।
दो साल में कुनबे में हुए 5 बाघ, एमटी-3 बाघ की माैत का सदमा भी मिला
मुकंदरा में सबसे पहले 3 अप्रैल, 2018 काे रामगढ़ विषधारी सेंचुरी से एमटी-1 बाघ काे शिफ्ट किया गया। 18 दिसंबर, 2018 काे रणथंभौर से एमटी-2 बाघिन और इसके बाद रणथंभौर टाइगर रिजर्व से एमटी-3 बाघ 9 फरवरी, 2019 काे खुद चलकर मुकंदरा आया था। इसके बाद 12 अप्रैल, 2019 काे एमटी-4 बाघिन काे रणथंभौर टाइगर रिजर्व से लेकर यहां एमटी-3 के साथ जाेड़ा बनाकर रिलीज किया था।
यहां दो साल में 5 बाघ हाे चुके हैं। रिजर्व के डीसीएफ टी मोहनराज ने बताया कि एमटी-3 बाघ की माैत बहुत दुखद है। हमने रिजर्व एरिया में बाघों की सुरक्षा के लिए सारे प्रयास किए हैं। यहां मानवीय दखल करने के लिए घाटी गांव का रीलोकेशन किया है। मशालपुरा गांव की स्वैच्छिक रीलोकेशन की 80 प्रतिशत प्रॉसेस हाे चुकी है।
लक्ष्मीपुरा गांव का रीलोकेशन भी जल्द हाेगा। रिजर्व में प्रे-बेस भी बेहतर हुआ है, साथ ही पशुओं की चराई पर रोकथाम लगाई है। रिजर्व में सबसे बड़ी चुनौती स्टाफ की है। यहां फॉरेस्ट गार्ड के लिए स्वीकृत 111 में से 48 पद ही भरे हैं। हालांकि बॉर्डर हाेमगार्ड, होमगार्ड और विलेज वाॅलियंटर से सुरक्षा व्यवस्था की जा रही है।
टाइगर रिजर्व में बाघिन एमटी-4 का मैनेजमेंट जरूरी
^पिछले साल टाइगर-डे पर मुकंदरा में चार बाघ थे। लेकिन, इस बार दाे शावकों की साैगात मिली है। एक बाघ की माैत के बाद बाघिन एमटी-4 के जाेड़े के लिए प्रयास करने चाहिए। एनक्लोजर के बाहर घूम रही एमटी-4 लंबे समय से नर बाघ के साथ रह रही थी। अब उसे जब नर बाघ नहीं मिलेगा ताे उसे सदमा लगेगा।
विभाग काे सबसे पहले ये पता करना हाेगा कि इसने बच्चे ताे नहीं दिए हैं। अथवा बच्चे देने वाली ताे नहीं है। यदि ऐसा है ताे नया बाघ नहीं लाना चाहिए। इससे शावकों काे खतरा हाे सकता है। यदि ऐसा नहीं है ताे इसके लिए अब नर बाघ की जरूरत है। अभी यह सदमे हैं।
इस संबंध में जितना जल्दी निर्णय हाे सके विभाग काे करना चाहिए, साथ ही विभाग काे रिजर्व एरिया में सैकंड फेज की प्रोसेस भी शुरू करनी चाहिए। सेल्जर में एनक्लोजर भी बना है। एेसे में यहां एक जाेड़े काे रिलीज करना चाहिए। - दाैलतसिंह शक्तावत, बाघ एक्सपर्ट
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