भड़ल्या नवमी के सावे पर सोमवार को 1200 से ज्यादा शादियां हुईं। कोरोनाकाल में वर-वधू पक्ष के परिवार ही विवाह के साक्षी बने, मेहमान शामिल नहीं हो पाए। विवाह के बाद देवताओं को धोकने का रिवाज है, देवालय भी बंद हैं। मोतीडूंगरी गणेशजी की सीधी सेवा-पूजा नहीं कर पाए तो नवदंपती ने देहरी पूजन किया।



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जयपुर में मंदिर की देहरी पूजता परिवार। (फोटो - अनिल शर्मा)
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