
स्वयं सहायता समूहों के पोषाहार सप्लाई के बिलों को पास करने की एवज में बानसूर के बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) प्रदीप कुमार गिलाेटिया ने 50 हजार रुपए की रिश्वत ली और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीम को चकमा देकर फरार हो गया।
एसीबी सीडीपीओ को तलाश रही है, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चल रहा। इधर, इसी मामले में एसीबी ने अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी कैलाश चंद मीणा व वरिष्ठ कार्यालय सहायक मनोहर लाल को गिरफ्तार कर लिया है। ट्रेप की कार्रवाई करने से पहले एसीबी ने जब सत्यापन कराया तो सीडीपीओ ने स्वयं सहायता समूह के संचालक से रिश्वत के रूप में 3 लाख रुपए मांगे और यह भी कहा कि अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी मीणा और वरिष्ठ सहायक कार्यालय मनोहर लाल को कुछ मत देना।
इसी तरह अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी मीणा और वरिष्ठ सहायक कार्यालय मनोहर लाल ने स्वयं सहायता समूह के संचालक से कहा कि हम दोनों को 1.50 लाख रुपए दे दो, सीडीपीओ को कुछ मत देना। एसीबी की यह कार्रवाई 30 जुलाई देर शाम 4 से 6 बजे के बीच है। जिस कार से सीडीपीओ फरार हुआ, उस कार को एसीबी ने बानसूर कस्बे के हॉस्पिटल के पास स्थित एक गली के पास से बरामद कर लिया है। कार में 97 हजार 500 रुपए रखे मिले हैं।
इशारा नहीं समझ सके
^30 जुलाई को एसीबी की टीम कार्रवाई के लिए बानसूर पहुंच गई थी। ट्रेप की पूरी तैयारी थी, लेकिन शायद सीडीपीओ को भनक लग गई। वहीं हमारी टीम रामनिवास का इशारा नहीं समझ पाई। इसके चलते सीडीपीओ रिश्वत की रकम लेकर फरार हो गया। यह पूरा घटनाक्रम 15 से 20 मिनट के अंदर हुआ। सीडीपीओ की तलाश के लिए उसके बानसूर स्थित घर पर दबिश दी है, लेकिन वह मकान का ताला लगाकर परिवार सहित फरार हो गया है। सीडीपीओ की पत्नी ममता हरियाणा में सरकारी स्कूल में शिक्षक है। - महेन्द्र मीणा, डीएसपी (एसीबी)
सीडीपीओ ने शिकायत कर्ता से कहा: मुझे 3 लाख रुपए चाहिए, अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी व वरिष्ठ कार्यालय सहायक को कुछ मत देना,
उधर, इन दोनों ने कहा: हमें 1.50 लाख रुपए दे दो, सीडीपीओ को कुछ मत देना
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