
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक में राज्य के विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान वित्तीय स्थिति और उपभोक्ताओं को दी जा रही सेवाओं की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि कोविड से लड़ाई में राज्य सरकार ने प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य की देखभाल और चिकित्सा सुविधाओं के प्रबंधन में कोई कमी नहीं छोड़ी है और आर्थिक संकट के दौर में भी अतिरिक्त वित्तीय भार वहन किया है। ऎसे में, विद्युत सेवाओं के निर्बाध एवं गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति में उपभोक्ताओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण है।
बैठक में ऊर्जा मंत्री बी.डी. कल्ला ने कहा कि विभिन्न राजनैतिक पार्टीयों तथा अन्य संगठनों अथवा संघों द्वारा बिजली बिल माफी की मांग की जा रही है, जो व्यवहारिक नहीं है। विद्युत विनियामक आयोग द्वारा जारी आदेशों के अन्तर्गत वर्तमान में प्रस्तावित विद्युत आपूर्ति की दरें और त्रैमासिक फ्यूल सरचार्ज लागू करना एक सतत प्रक्रिया है।
लॉकडाउन में बिलों का भुगतान करने पर घरेलू उपभोक्ताओं को 5 प्रतिशत एवं अन्य उपभोक्ताओं को 1 प्रतिशत की छूट दी है। इसके लिए 123.81 करोड़ रुपए की राशि वितरण निगमों द्वारा वहन की गई है। इससेे इन निगमों का वार्षिक घाटा 9 हजार करोड़ से अधिक हो गया है।
ऐसी स्थिति में बिलों की राशि माफ कराना अथवा विलम्ब शुल्क माफ करना विद्युत वितरण निगमों की पहले से खराब चल रही वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। कृषि उपभोक्ताओं को 833 रुपए प्रति माह अनुदान, जो पूर्ववर्ती सरकार ने चुनाव घोषणा से ठीक पहले 5 अक्टूबर, 2018 को बिना किसी वित्तीय प्रावधान के घोषित किया था, वर्तमान सरकार ने इसे एक वर्ष तक जारी रखा।
इस कारण वितरण निगमों पर 688 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार आया है। भारत सरकार ने तो राज्य के विद्युत वितरण निगमों की वित्तीय स्थिति में सुधार नहीं कर पाने की स्थिति में केन्द्र सरकार द्वारा राज्य को दी जाने वाली अनुदान राशि को रोकने हेतु विचार करने की बात कही है।
डेयरी सेक्टर को देंगे बढ़ावा
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश में डेयरी सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघों को पूरा प्रोत्साहन देगी। गहलोत ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो काॅन्फ्रेंस के जरिए भीलवाड़ा जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के करीब 75 करोड़ रुपए की लागत से बनाए जाने वाले आधुनिक तकनीकी युक्त दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र के शिलान्यास किया। अगस्त 2022 तक तैयार होने वाले इस संयंत्र की क्षमता 5 लाख लीटर प्रतिदिन होगी।
राज्य सरकार का खाद्य प्रसंस्करण पर विशेष जोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को उनकी फसलों का लाभकारी मूल्य दिलवाने तथा आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए राज्य सरकार खाद्य प्रसंस्करण पर विशेष जोर दे रही है। प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण की इकाई स्थापित करने पर अब किसानों को 10 हैक्टेयर तक जमीन के भू-रूपांतरण की आवश्यकता नहीं है।
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