
मानसून सीजन के बाद एक अक्टूबर से रणथंभौर नेशनल पार्क और सरिस्का के जंगल पूरी तरह पर्यटक-बाघ प्रेमियों के लिए खुलने जा रहे हैं। महामारी के बीच सुरक्षा को लेकर अपने चैलेंज हैं, लेकिन अब जबकि आमेर महल सहित दूसरी पर्यटन जगहों को भी दिन-रात पावणों के लिए खोल दिया गया है तो फिर बाघ प्रेमियों में तो उत्साह कहीं ज्यादा है।
बहरहाल पॉजिटिव होने से खबरा रहे माहौल में टूरिज्म के लिए पॉजिटिव रूख की जरूरत है। रणथंभौर में पर्यटन इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने मांग रखी है कि जो भी गिने-चुने पर्यटक आएं, उनको लिए जिप्सी और जोन में विभाग नरम रुख अख्तियार करे।
जंगल में सारा खेल जिप्सी बुकिंग और इससे जुड़े ब्लैक आदि को लेकर रहा है। अब चूंकि विदेशी पर्यटक आ ही नहीं रहे तो मांग की गई है कि जो भी पर्यटक पहुंचे, उनको तुरंत गाड़ी बुकिंग और अहम जोन की सुविधा मिल सके। अगर किसी दिन लोकल टूरिस्ट ज्यादा भी हैं तो जिप्ती-जोन में वरियता की छूट दी जाए।
जानकारी हो कि अक्टूबर में सीजन से पहले ही एडवांस बुकिंग हो जाती थी। ज्यादातर होटल में टूरिस्ट की रौनक देखते ही बनती। लेकिन पहली बार हालात उलटे हैं। और केवल गिनी-चुनी होटल में कुछेक कमरे लग पाए हैं।
सरिस्का-रणथंभौर के अफसर पॉजिटिव, अब सुधरे हालात
पिछले दिनों सरिस्का और रणथंभौर में फील्ड डायरेक्टर सहित दूसरे अफसर भी महामारी की चपेट में आए। खासकर रणथंभौर में, जहां एसीएफ और डीएफओ भी पॉजिटिव हो चुके और कुछ दिन दफ्तर के काम भी बंद करने पड़े। हालांकि अब संबंधित अफसरों के मुताबिक स्थितियां सामान्य हैं।
एक अक्टूबर से खुल रहे जंगल के लिए स्टाफ पूरी तरह तैयार है। यही हाल सरिस्का का है, जहां नई टीम टूरिज्म और बाघ संरक्षण में जुटी हुई है। कुछ जगह नए रास्तों की संभावनाएं तलाश बाघ साइटिंग के प्रयास हो रहे हैं।
महामारी के दौरान पिट रहा पर्यटन सीजन, आने वालों को महल तक के खराब रास्तों की मुसीबत
जयपुर। आमेर महल तक जाने वाले आगे-पीछे के दोनों रास्तों की हालत ठीक नहीं है। महामारी के बीच पर्यटन सीजन शुरू चुका है, ऐसे में महल जैसी जगह पर खराब रास्ते पर्यटकों की राह और पथरीली करेंगे। फिलहाल रास्तों से ज्यादा खराब हालत में गुजर रहे आमेर विकास प्राधिकरण ने पीछे के मुख्य रास्ते को ठीक करने के काम शुरू किया है।
इससे पहले सीवर, पानी की लाइनों को दुरुस्त किया गया था। इस काम को पूरा होने में अभी 15-20 दिन का समय और लगना बताया जा रहा है। इस बीच केवल एक ही रास्ते से लोग आ-जा रहे हैं, जो कि महल की चढ़ाई में मुसीबत का काम हैं।
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