हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों की फीस वसूली मामले में सोमवार को सुनवाई 30 सितंबर तक टाल दी है। वहीं इस मामले में निशा फाउंडेशन को भी पक्षकार बनाने के लिए कहा है। अदालत ने यह अंतरिम निर्देश अधिवक्ता सुनील समदरिया की अपील पर दिया। सुनवाई के दौरान राज्य के एएजी राजेश महर्षि ने अदालत में कहा कि सरकार भी इस मामले में एकलपीठ के आदेश के खिलाफ अपील दायर कर रही है।
जिस पर अदालत ने मामले की सुनवाई टाल दी। सुनवाई के बाद राज्य सरकार ने भी अपील दायर कर दी। सरकार ने अपील में कहा है कि एकलपीठ ने निजी स्कूलों को 70 फीसदी ट्यूशन फीस वसूलने का जो आदेश दिया है उसका कोई आधार नहीं बताया है। जबकि निजी स्कूलों ने आरटीई व फी रैग्युलेशंस का उल्लंघन करते हुए फीस तय की है।
अदालत में निजी स्कूलों ने यह ब्यौरा नहीं दिया है कि कोविड: 19 के दौरान उनका क्या-क्या खर्च हुआ था। इसलिए एकलपीठ का आदेश रद्द किया जाए। दरअसल हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 7 सितंबर को सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस इन राजस्थान व प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन व अन्य की याचिकाओं पर अंतरिम आदेश दिया था।
इस आदेश के अनुसार एकलपीठ ने निजी स्कूलों को कुल ट्यूशन फीस की 70 फीसदी राशि अभिभावकों से तीन किश्तों में वसूलने की छूट दी थी। साथ ही स्पष्ट किया था कि फीस नहीं देने पर केवल बच्चों को ऑनलाइन क्लासों में शामिल नहीं किया जा सकता, लेकिन फीस नहीं देने पर किसी बच्चे का नाम स्कूल से नहीं काटा जाए।
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