पुरुषों की तुलना में महिलाएं कोरोना पॉजिटिव कम हो रही हैं। इसकी पुष्टि रिसर्च और स्टडी ही नहीं,पॉजिटिव केसों के आंकडें भी कर रहे हैं। जयपुर के कोरोना पॉजिटिव में 70 परसेंट पुरुष और सिर्फ 30 परसेंट महिलाएं हैं। हालांकि, इसकी वजह अभी तक महिलाओं का घर से कम बाहर निकलना माना जा रहा था। लेकिन हाल ही में दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित जर्नल नेचर ने महिलाओं में कोरोना संक्रमण कम होने की मुख्य वजह उनकी मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता बताई है।
इसके मुताबिक, पुरुषों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता महिलाओं की अपेक्षा कम होती है। इसलिए उनमें यह संक्रमण और कॉम्पिलिकेशंस ज्यादा होते हैं। जयपुर के रिसर्चर डॉ. अरविंद गुप्ता ने बताया कि महिलाओं में रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने वाले टी-सैल्स ज्यादा मौजूद होते हैं। ये टी-सैल्स उनमें तीव्र गति से बनते हैं। उनमें उम्र के आधार पर ये सैल्स घटते नहीं हैं।
उनमें ओल्ड एज में भी यंग एज के समान इन सैल्स का एक्टिवेशन बना रहता है। इन सैल्स की मात्रा घटती नहीं है। यही वजह है कि इन टी-सैल्स के कारण महिलाओं की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। उनमें इंफेक्शन जल्दी कंट्रोल होता है। इंफेक्शन खत्म होने पर एंटीबॉडीज लंबे समय तक शरीर में जिंदा रहती है। हालंाकि, पुरुषों और महिलाओं में विकसित होने वाली एंटीबॉडीज में अंतर नहीं होता है।
महिलाओं में कॉम्पिलिकेंशंस कम और रिकवरी जल्दी
ईएचसीसी हॉस्पिटल के काेविड वार्ड इंचार्ज डॉ. आरएस खेदड़ ने बताया कि हॉस्पिटल में 1-30 अगस्त तक कुल 301 पॉजिटिव मरीज आ चुके हैं। इनमें पुरुष 233 और महिलाएं 68 हैं। महिलाओं की ना सिर्फ संख्या कम है बल्कि उनमें कॉम्पिलिकेशंस भी कम हो रहे हैं। जबकि फीमेल पेशेंट्स में हाइपरटेंशन, निमोनिया, सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानी है।
वे रिकवर जल्दी कर रही हैं। डिप्टी सीएमएचओ हैल्थ डॉ. सुरेंद्र सैनी ने बताया कि जयपुर सैकंड में 1 सितंबर तक 2082 पुरुष और 972 महिलाएं पॉजिटिव हुई हैं। तीस परसेंट ही महिलाएं हैं। महिलाएं संक्रमण से बचाव में लापरवाही नहीं बरतती है। ना ही मास्क हटाती है। वे वायरस से कम एक्सपोज होती हैं।
ज्यादा वजनी पुरुषों में इंफेक्शन का खतरा ज्यादा
जिन पुरुषाें का वजन और बॉडीमास इंडेक्स ज्यादा होता है। उनमें वायरल लोड सामान्य पेशेंट की तुलना में ज्यादा होता है। इससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ता है। वहीं, महिलाओं का वजन ज्यादा होने पर भी उनमें इंफेक्शन की रिस्क कम रहती है। यही वजह है कि मेल पेशेंट्स को थेरेपीज की आवश्यकता ज्यादा होती है। इसलिए पुरुषों को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढानी चाहिए। इम्युन बूस्टर का सेवन करना चाहिए।
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