बाजरे की रिकॉर्ड पैदावार के बावजूद किसानों को इसका फायदा नहीं मिल रहा। कृषि विभाग के मुताबिक प्रदेश भर में पहली बार बाजरे की रिकॉर्ड पैदावार मानी जा रही है। जबकि बाजार भाव आधे हो चुके हैं। ऐसे हालात में यदि समर्थन मूल्य खरीद नहीं हुई तो लाखों किसानों को बड़ा झटका लग सकता है। बाजार और समर्थन मूल्य में ₹1050 रुपए तक का अंतर होने की वजह से किसानों को उपज की आधी कीमत ही मिल रही है। बाजार भाव पिछले साल के मुकाबले आधे हो गए हैं। 1 साल पहले किसानों का बाजरा मार्केट में ₹2000 प्रति क्विंटल तक बिका था। इस साल औसत भाव 1100 रुपए क्विंटल हैं।

भावों के अंतर को देखते हुए अकेले सीकर जिले में ही किसानों को 323.40 करोड़ का घाटा उठाना पड़ सकता है। जिले में 280000 हैक्टेयर में 30 लाख मीट्रिक टन बाजरे की पैदावार मानी जा रही है। जिसकी बाजार भाव से औसत कीमत 338.80 करोड़ रुपए तथा समर्थन मूल्य से कीमत 662.30 करोड़ मानी जा रही है। ऐसे में किसानों को भाव के अंतर से 323 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो सकता है। यही हाल मूंग तथा मूंगफली की फसलों के हैं।

मार्केट और समर्थन मूल्य के भाव के मुताबिक किसानों को मूंग की फसल बेचने पर 1196 रुपए प्रति क्विंटल तक तथा मूंगफली की फसल बेचने पर ₹1075 तक का घाटा हो रहा है। क्योंकि सरकार द्वारा राजस्थान में मूंग व मूंगफली की खरीद के लिए भी फिलहाल तैयारी नहीं की गई है। जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा में किसानों की उपज समर्थन मूल्य पर खरीद करने की तैयारी कर ली है।
17 साल में एक बार भी नहीं हुई बाजरे की समर्थन मूल्य खरीद, जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा में हर साल कराई जा रही है खरीद

देशभर में राजस्थान बाजरे की खेती के लिए पहले पायदान पर है। यहां का बाजरा देशभर में भिजवाया जाता है। इसके बावजूद किसानों को उपज का पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। 17 साल में एक बार भी राजस्थान में बाजरे की सरकारी खरीद नहीं हुई है। खरीद एजेंसियों के अधिकारियों के मुताबिक 17 साल पहले 2003 में तत्कालीन गहलोत सरकार ने रिकॉर्ड पैदावार के बाद बाजरे के भाव सस्ते होने की स्थिति किसानों के विरोध को देखते हुए सरकारी खरीद करवाई थी। हरियाणा में सरकार किसानों से समर्थन मूल्य पर हर साल बाजरे की खरीद करवा रही है।

हरियाणा में बाजरा महंगा होने के बाद राजस्थान के व्यापारी किसानों से बाजरे की खरीद कर हरियाणा बेचने लगे। हरियाणा के समर्थन मूल्य काउंटरों पर दूसरे राज्यों का बाजरा रोकने के लिए इस साल हरियाणा सरकार ने राजस्थान बॉर्डर पर बाजरा के आयात निर्यात पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है। राजस्थान का बाजरा हरियाणा नहीं जाने की स्थिति में बाजरा सस्ता हो रहा है।
बाजरा: बुआई हेक्टेयर :280000
उत्पादन मीट्रिक टन :308000
औसत बाजार भाव प्रति
क्विंटल: 1100
समर्थन मूल्य: 2150
भाव में अंतर: 1050
बाजार भाव से कीमत:338 करोड़ 80 लाख
समर्थन मूल्य से कीमत 662 करोड़ 30 लाख
भाव के अंतर से नुकसान: 323 करोड़ 40 लाख
मूंग: बुआई हेक्टेयर : 68860
उत्पादन मीट्रिक टन :37500
औसत बाजार भाव प्रति
क्विंटल: 6000
समर्थन मूल्य: 7196
भाव में अंतर:1196
बाजार भाव से कीमत:225 करोड़
समर्थन मूल्य से कीमत: 269 करोड़ 85 लाख
भाव के अंतर से नुकसान:
44 करोड़ 85 लाख
मूंगफली: बुवाई हेक्टेयर :22000
उत्पादन मेट्रिक टन :44000
औसत बाजार भाव प्रति
क्विंटल: 4200
समर्थन मूल्य: 5275
भाव में अंतर: 1075
बाजार भाव से कीमत:748 करोड़ 60 लाख
समर्थन मूल्य से कीमत 232 करोड़ 10 लाख
भाव के अंतर से नुकसान:
47 करोड़ 30 लाख

पिछले साल 2000 रु. समर्थन मूल्य पर हरियाणा सरकार ने बाजरा खरीदा था। इस साल 2150 रुपए के भाव से हरियाणा सरकार 1 अक्टूबर से बाजरे की खरीद शुरू करेगी। हरियाणा की तरह राजस्थान में भी खरीद करवानी चाहिए।
महेश जैन, बाजरा कारोबारी एवं कृषि उपज मंडी पदाधिकारी
राजस्थान सरकार ने फिलहाल एसबीआई को बाजरा की खरीद के संबंध में किसी तरह के दिशानिर्देश जारी नहीं किए हैं। यदि सरकार खरीद कराएगी तो किसानों का बाजरा समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा।
विजेंद्र सिंह, जनरल मैनेजर मार्केटिंग, एफसीआई जयपुर
राजफेड द्वारा समर्थन मूल्य पर किसानों से तिलहन व दलहन की फसलों की खरीद करवाई जाती है। सरकार को प्लान भिजवाया गया है, फिलहाल मंजूरी नहीं मिली है। सरकार की गाइडलाइन आते ही खरीद की प्रक्रिया शुरू करवा दी जाएगी ।
संजय पाठक, जीएम कमर्शियल राजफेड जयपुर



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2000 in the market last year. Millet was sold up to per quintal, Rs 1100 as soon as new crop arrived. 1050 difference between price, support price and market price
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