राजधानी जयपुर में शहरी सरकार के 20 दिन पूरे होने वाले है, लेकिन ग्रेटर निगम और हैरिटेज नगर निगम महापौर द्वारा पदभार ग्रहण करने के बाद शहर को स्वच्छ बनाए जाने के दावे अभी तक खोखले ही साबित हुए है। जयपुर शहर की रैंकिंग सुधारने के पांच माह का समय बचा है, लेकिन दोनाें निगम अफसरों ने शहर को स्वच्छ बनाकर रैंकिंग को देश में पहले पायदान पर लाने के लिए तैयारी नहीं की है।

चार साल से रैंकिंग में पहले पायदान पर रहने वाले इंदौर निगम के अफसर तीन माह से करोड़ों की लागत की विदेशी मैकेनाइज्ड मशीनाें से शहर को स्वच्छ बनाने में लगे हैं। इंदौर में प्रतिदिन 600 किमी सड़कों को साफ किया जा रहा है। जबकि जयपुर के अधिकारियों ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के सर्वे में के लिए केवल डाटा फीडबैक का काम ही पूरा किया है। ऐसे में इस बार भी रैंकिंग को लेकर अफसरों की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

मैकेनाइज्ड मशीनों से सफाई करने पर मिलेगा अवार्ड

  • स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 की शर्त है प्रमुख सड़कों को मैकेनाइज्ड मशीनों से साफ किया जाए। इंदौर में पहले 13 मशीनों से हर दिन 300 किमी की सड़कें साफ होती थीं।
  • 23 रोड स्वीपिंग मशीनों से रोज 700 किमी सड़कें साफ होंगी। ऐसा करने वाला इंदौर देश में पहला शहर होगा।
  • मशीनों की विशेषता है ये धूल के कणों से लेकर मोटी रेत, प्लास्टिक कचरा भी आसानी से उठा लेती हैं। मशीनों में पानी के फव्वारे भी होते हैं, जिससे सफाई के वक्त सड़क धुलकर साफ भी हो जाती है। इन मशीनों से सफाई करने पर अलग से अवार्ड दिया जाएगा। लेकिन जयपुर नगर निगम के पास अभी तक मैकेनाइज्ड मशीने ही नहीं है।

इंदौर फार्मूले पर कई शहर करने लगे काम, अभी तक जयपुर नहीं
देश के शहरों के निगम अफसरों ने खुद के शहर स्वच्छ बनाने के लिए इंदौर के सलाहकारों के सुझाव पर उनके फार्मूले पर काम शुरू किया है। उनमें आगरा और फरीदाबाद ने तो काम भी शुरू कर दिया है। लेकिन जयपुर निगम अधिकारी गंभीर नहीं हैं।

दोनों महापौर ने कहा, प्लान बनाएंगे शहर को स्वच्छ बनाने के लिए
हैरिटेज निगम महापौर मुनेश गुर्जर और हैरिटेज निगम महापौर सोम्या गुर्जर का कहना है शहर को स्वच्छ बनाने के लिए विशेष प्लान तैयार कर रहे है। हालांकि दोनों मेयर तय नहीं कर पाए कि क्या प्लान रहेगा?

यह अभी तक नहीं कर पाया नगर निगम

  • कम्पनी को पहले ही दिन से गीला-सूखा कचरा अलग-अलग लेना था पर सर्वेक्षण के दौरान भी यह संभव नहीं हो पाया।
  • 60 लाख से ज्यादा खर्च होने के बाद भी स्कूलों-कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम कम हुए।
  • स्वच्छता ऐप डाउनलोड तो किया पर ठीक से उपयोग नहीं कर पाए और लोग शहर की सफाई संबंधित सवालों का जवाब नहीं दे पाए।
  • सर्वेक्षण में इस बार बोर्ड नहीं था। ऐसे में पार्षदों के नहीं होने से स्वच्छता संबंधित काम नहीं हुए।
  • 5 हजार सफाईकर्मियों की भर्ती हुई, पर अधिकतर सफाईकर्मी गायब रहते हैं।
  • डंपिंग यार्ड तक प्रतिदिन 1400 टन के कचरा पहुंच रहा है। लेकिन निस्तारण 500 टन का भी नहीं हुआ है।
  • सी एंड डी वेस्ट और बायोेमेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए प्लांट शुरू नहीं हुए है।


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Are making Indore clean for 3 months, work has not started in Jaipur yet
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