यूडी टैक्स अधिक से अधिक जमा हाे, इसके लिए राज्य सरकार द्वारा 31 दिसंबर तक ब्याज और पैनल्टी में छूट दे रखी है। लेकिन इसका फायदा न काेटावासियाें काे मिल रहा है न ही निगम काे क्याेंकि निगम के पास यूडी टैक्स देने वालों का डेटा ही नहीं है।
राज्य सरकार ने डेटा प्राेवाइडर कंपनी का करार खत्म कर दिया। यूडी टैक्स के आंकड़े उसी कंपनी के पास हैं और अब वाे डेटा ही नहीं दे रही है। इससे निगम टैक्स के बिल नहीं बना रहा है। यदि काेई टैक्स जमा करने के लिए निगम पहुंच भी जाता है ताे उसका बकाया टैक्स ही पता नहीं चल पाता है। इस वित्तीय वर्ष में दाेनाें नगर निगमों ने 13 कराेड़ यूडी टैक्स वसूलने का लक्ष्य रखा था, जबकि वसूली मात्र 1 कराेड़ रुपए ही हुई है।
पिछले साल से कम टार्गेट फिर भी पिछड़ा

वर्ष 2019-20 के वित्तीय वर्ष में जब एक ही निगम का था तब यूडी टैक्स का टार्गेट 18 कराेड़ रुपए रखा गया था। उस वर्ष भी 5.06 कराेड़ ही वसूल हाे पाया था। इस वर्ष 2020-21 में जब दाे नगर निगम हाे गए ताे बजट में दाेनाें का टार्गेट अलग-अलग कर दिया गया। दक्षिण निगम का टार्गेट 8 कराेड़ रुपए और उत्तर निगम का टार्गेट 5 कराेड़ रुपए रखा गया था।

दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक मात्र 1 कराेड़ रुपए ही जमा हाे पाया है। उत्तर के आयुक्त वासुदेव मालावत के अनुसार डेटा कंपनी आंकड़े नहीं दे रही है। इस संबंध में हमने दाे बार डीएलबी काे पत्र भी लिख दिया है। वहां से शीघ्र ही इस समस्या का समाधान करने की बात कही गई है। दाे-तीन में संभवत: यह समस्या दूर हाे जाएगी।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Via Dainik Bhaskar https://ift.tt/1PKwoAf

Advertisement

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

 
Top