नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का स्पष्ट आदेश है कि शहराें में कहीं भी कचरे के ढेर नजर नहीं आने चाहिए लेकिन अजमेर में लंबे अरसे से माखुपुरा स्थित निगम के ट्रेचिंग ग्राउंड पर कचरे के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ जैसे ढेर देखे जा सकते हैं। स्मार्ट सिटी प्राेजेक्ट के तहत 14 कराेड़ की लागत बायाेमाइनिंग प्रक्रिया से इस कचरे का निस्तारण किया जाना है, लेकिन इसके लिए अब तक काेई अनुभवी वेंडर नहीं मिला। 20 सालाें से जमा 2.20 लाख मेट्रिक टन कचरा जस का तस वहीं जमा है, इस मार्ग से निकलने वाले लाेगाें औैर आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लाेगाें के लिए ट्रेचिंग ग्राउंड अभिशाप बना हुआ है।

इस वेस्ट निस्तारण के लिए स्मार्ट सिटी द्वारा पहली बार टेंडर प्रक्रिया की गई ताे काेई वेंडर नहीं आया। दूसरी बार में 3-4 वेंडर सामने आए लेकिन साइट देखकर वे भी पीछे हट गए। अब स्मार्ट सिटी द्वारा तीसरी बार टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है, ऑनलाइन टेंडर के लिए 21 दिसंबर अंतिम तिथि है।

ये 2 बड़ी वजह -नहीं मिल रहा वेंडर

  • लेगेसी वेस्ट के निस्तारण के लिए देशभर में 3-4 फार्म ही ऐसी हैं जाे ठीक तरह से काम कर रही हैं। इनमें से किसी ने भी अब तक अजमेर के लेगेसी वेस्ट के निस्तारण के लिए टेंडर प्रक्रिया में शामिल हाेने के लिए रुचि नहीं ली है।
  • लेगेसी वेस्ट के निस्तारण के लिए पूर्व में जाे वेंडर टेंडर प्रक्रिया में शामिल हुए थे, उन्हें बायाेमाइनिंग के काम का अनुभव नहीं था। इस काम के अनुभवी कम हैं। कई जगह ऐसा सामने आ चुका है कि काम ताे ले लिया लेकिन कर नहीं सके।

दिल्ली में वेस्ट मैनेजमेंट देखकर लाैटी अजमेर की टीम, बताया-क्या करें हम

जिला कलेक्टर व स्मार्ट सिटी के सीईओ प्रकाश राजपुराेहित के आदेश पर न्यू देहली म्यूनिसिपल काॅर्पाेरेशन (एनडीएमसी) द्वारा कराए जा रहे बायाेमाइनिंग कार्य देखने के लिए अजमेर से एक्सईएन ओमप्रकाश डींडवाल, एईएन सीमा चाैधरी औैर एईएन बबीता सिंह काे दिल्ली भेजा गया था। टीम दाे दिनाें के विजिट के बाद लाैट आई है। इस टीम के मुताबिक न्यू दहली म्यूनिसिपल काॅर्पाेरेशन और साउथ देहली म्यूनिसिपल काॅर्पाेरेशन को 140 लाख टन लेगेसी वेस्ट का निस्तारण करने के लिए जब लंबे समय से काेई वेंडर नहीं मिला ताे काॅर्पाेरेशन ने अपने स्तर पर मशीनरी किराए पर लेकर निस्तारण शुरू कराया। गाजीपुर में बायाेमायनिंग का प्लांट है। यह प्रक्रिया महंगी है, अजमेर में इस माॅडल पर काम करना संभव नहीं है।

वेस्ट निस्तारण के लिए अजमेर में अपना सकते हैं दिल्ली के ये दाे माॅडल

  • किचर वेस्ट से वन विभाग बना रहा खाद : दिल्ली में कुछ काॅलाेनियाें से किचन का वेस्ट सेगरीगेट हाेकर वन विभाग काे पहुंचाया जा रहा है। वन विभाग द्वारा इससे खाद तैयार कर नर्सरी में इस्तेमाल की जा रही है।
  • वेस्ट टू एनर्जी प्लांट : ओखला में भारत का पहला वेस्ट टू एनर्जी प्लांट है। यहां वेस्ट से 23 मेगावाॅट बिजली राेजाना पैदा की जा रही है। यहीं एक दूसरा प्लांट है 200 टन प्रतिदिन कचरे से कंपाेस्ट तैयार कर रहा है।

सर्वे में आकलन : 2.20 लाख मेट्रिक टन कचरे में काैनसा वेस्ट कितना

1. ऑर्गेनिक वेस्ट
गाॅर्डन व पार्क वेस्ट 0.98 प्रतिशत नाॅन फूड ऑर्गेनिक वेस्ट 6.11 प्रतिशत {फूड वेस्ट 0.75 %
2. कंप्यूस्टिबल वेस्ट

  • पेपर 0.90 प्रतिशत प्लास्टिक 0.51 %
  • कार्डबाेर्ड 0.75 प्रतिशत
  • टेक्सटाइल व जूट बैग्स 6.24 प्रतिशत
  • वुड व स्ट्रा वेस्ट 2.63 प्रतिशत
  • लेदर 0.40 प्रतिशत
  • रबर व टायर्स 1.25 प्रतिशत
  • नाॅन वीपीसी व अन्य पैकिंग मेटेरियल 1.32 %

बायाेमाइनिंग के लिए तीसरी बार टेंडर प्रक्रिया की गई है। पहली बार में काेई नहीं आया। दूसरी बार अनुभवी वेंडर नहीं मिला। कई शहराें में बायाेमाइनिंग का वेंडर काम बीच में छाेड़ गए। देश में कुछ फर्म ही ऐसी हैं जाे यह कार्य बेहतर कर रही हैं।
-अविनाश शर्मा,
चीफ इंजीनियर, अजमेर स्मार्ट सिटी लि.



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2.20 lakh metric tons of garbage at the Gauchan's junction for smart city, increased pollution risk
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