गांगड़तलाई कस्बे में युवाओं ने एक अच्छी पहल करते हुए मोक्षधाम के निर्माण के लिए 6 लाख 30 हजार रुपए एकत्रित कर लिए ताकि अंतिम संस्कार खुले में न करना पड़े। इतना ही नहीं युवाओं ने रविवार को ही मोक्षधाम पर मरम्मत और निर्माण कार्य का शुभारंभ भी कर दिया।
गांगड़तलाई कस्बे में सालों से श्मशान घाट की समस्या बनी हुई थी। 2015-16 ग्राम पंचायत ने श्मशान घाट की मरम्मत के लिए 5 लाख 50 हजार रुपए की राशि स्वीकृत की थी। जिससे श्मशान घाट पर केवल पीलर और छत की आरसीसी डाली गई।
जमीनी विवाद के चलते कार्य रुक गया, जिसके बाद ग्रामीणों ने जमीनी विवाद का हल निकाला। श्मशान घाट में ग्राम पंचायत ने बोरवेल की व्यवस्था की, लेकिन असामाजिक तत्वों ने उस बोरवेल में पत्थर डाल दिए थे जिससे बोरवेल बंद हो गया।
गांगड़तलाई के वाशिंदे दाह संस्कार के लिए जूनी गांगड़तलाई जाकर खुले में दाह संस्कार करते थे। गत दिनाें 22 दिसंबर को गांगड़तलाई कुरीचंद पंचाल की मौत हो गई थी, जिनका भी अंतिम संस्कार खुले में करना पड़ा।
इसकाे लेकर 23 दिसंबर काे दैनिक भास्कर ने उक्त समस्या काे लेकर प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था। जिसके बाद कस्बे के युवाओं ने पहल करते हुए श्मशान घाट के सृदृढ़ीकरण के लिए सहयोग राशि जुटाने प्रयास शुरू किया।
मात्र तीन दिन में ही राजेश दाेसी, धनपाल टेलर, नरेश प्रजापति, रमेश प्रजापति, मुकेश बोरियाला, चंदूलाल प्रजापति, सोहनलाल कलाल, सुरेंद्र पंचाल, महेश कलाल सहित युवाओं ने 6 लाख 30 हजार नकद रुपए जुटा लिए। नकद राशि के अलावा कस्बे के कई भामाशाहों ने सामग्री भी भेंट की, ताकि कस्बे की उक्त समस्या का समाधान हो सके। भामाशाहों ने सहयोग के लिए 11 सौ लेकर 51 हजार रुपए तक सहयोग राशि भेंट किए।
सहयोग लिए आगे आए भामाशाह
श्मशान घाट के निर्माण कार्य के लिए आर्थिक सहयोग अन्य सामग्री भेंट करने के लिए भी भामाशाह आगे आ रहे हैं। नरेश पंचाल और राजमल पंचाल ने पिता कुरीचंद पंचाल की स्मृति में एक कमरा और शव रखने के लिए स्टैंड उपलब्ध कराने की घोषणा की।
गिरिराज शर्मा की स्मृति में उनके भतीजे रमेश शर्मा ने श्मशान घाट में सीमेंट की 5 कुर्सियां लगाने, कन्हैयालाल पंचाल द्वारा दरवाजा और शंकरलाल कलाल द्वारा बोरवेल के लिए पानी की मोटर लगवाने की घोषणा की गई।
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