
(शिवांग चतुर्वेदी). रेलवे द्वारा कोरोना महामारी के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए रेलवे स्टेशनों पर व्यवस्थाओं में कई बदलाव किए गए। इनमें यात्रियों को 90 मिनट पहले स्टेशन पहुंचने, थर्मल स्क्रीनिंग, विजिटर्स की एंट्री पर रोक लगाने, प्लेटफॉर्म और जनरल टिकट पर रोक, मास्क की अनिवार्यता और सोशल डिस्टेंसिंग जैसी व्यवस्थाएं शामिल हैं।
लेकिन बावजूद इसके रेलवे पिछले 9 महीनों में अपने ही एक्ट में महामारी से जुड़े जुर्मानों के प्रावधानों को शामिल नहीं कर सका। जिसके चलते अगर स्टेशन पर कोई भी यात्री कोविड-19 से जुड़े नियमों की अवहेलना करता है, तो रेलवे स्टेशन पर सिर्फ राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) को ही जुर्माना करने का अधिकार है। ऐसे में सही तरीके से चालान नहीं हो पा रहे हैं।
जून से अब तक सिर्फ 267 ही लोगों ने नियम तोड़े
रेलवे के अनुसार जून माह से अब तक सिर्फ 116 लोग ही बिना मास्क के स्टेशन और ट्रेन में यात्रा करते हुए मिले। जिनसे 23,200 रुपए जुर्माना वसूला गया। इसी प्रकार स्टेशन पर सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग तोड़ते हुए 151 लोगों को पकड़ा गया। जिनसे 30,200 रुपए जुर्माना वसूला गया। गौरतलब है कि आरपीएफ या टिकिट चकिंगत स्टाफ ऐसे लोगों को पकड़कर जीआरपी से चालान करवाते हैं।
जून से अब तक सिर्फ 2 ही लोगों ने स्टेशन पर थूका
- रेलवे स्टेशन पर पिछले छह माह में सार्वजनिक क्षेत्र में सिर्फ दो ही लोगों ने थूका।
- रेलवे ने जून में ऐसे में दो लोगों से 400 जुर्माना वसूला था।
- जयपुर जंक्शन पर रोजाना करीब 25 हजार लोगों का आवागमन होता है।
क्या कहता है रेलवे एक्ट
रेलवे द्वारा रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 153 में सजा दी जाएगी। इसके तहत अगर कोई व्यक्ति इस तरह की गतिविधि (एक्ट) जिससे किसी व्यक्ति या रेल संपति नुकसान को नुकसान पहुंच सकता है, तो उसे पांच साल की सजा दी जा सकती है। जबकि रेलवे एक्ट में कोविड-19 गाइडलाइंस को तोड़े जाने पर सजा देने का कोई प्रावधान ही नहीं है।
यानी अगर ट्रेन या स्टेशन पर अगर इस तरह टी टी ई या आरपीएफ द्वारा किसी को पकड़ा जाता है, तो या तो उसे रेलवे एक्ट की धारा 153, या 198 के तहत पैनेलाइज किया जाएगा। या फिर राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) से राज्य महामारी आपदा अधिनियम के तहत जुर्माना कराया जाएगा। यानी रेलवे ने अभी तक भी अपने एक्ट में कोरोना से जुड़ा प्रावधान नहीं किया है।
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