पाॅलीथिन पर प्रतिबंध हाेने के बावजूद शहर में धड़ल्ले से बेची जा रही है। शहर में इसका खुलेआम उपयोग भी हो रहा है। सवाल यह है कि जब पॉलीथिन थैलियों पर बैन है तो फिर शहर में पॉलीथिन थैलियां आ कहां से रही हैं। इसका इस्तेमाल बैखौफ कैसे हो रहा है।

भास्कर ने शहर में इस बारे में पड़ताल की तो सामने आया कि नगर निगम ने पिछले डेढ़ साल से पाॅलिथीन के खिलाफ काेई अभियान ही नहीं चलाया। पाॅलिथीन थैलियों का अवैध कारोबार खुलेआम चल रहा है। शहर में भले ही अब एक की जगह दो नगर निगम हैं, लेकिन लोगों के लिए घातक इस पॉलीथिन पर प्रभावी कार्रवाई कर रोक लगाने की फुर्सत किसी को नहीं है।
शहर की थोक दुकानों से रिटेल में होती है सप्लाई
शहर में दर्जनों पॉलीथिन थैलियों की थोक की दुकानें हैं, यही लोग बाहर से बसों के माध्यम से पॉलीथिन मंगवाते हैं। इन दुकानों से पॉलीथिन शहर की किराने, जनरल स्टोर, ब्रेकरी, डेयरी आदि की दुकानों पर सप्लाई हाेती है। रिटेल के लिए दुकानदार या तो थोक की दुकान पर आकर ही थैलियां ले जाते हैं, या फिर इन थोक की दुकानों से रिटेल में उनकी दुकानों तक थैलियां पहुंचाने की व्यवस्था भी है।

भास्कर एक्सपर्ट : जमीन में दबने के बाद भी नहीं हाेती है नष्ट पाॅलीथिन हमारे शरीर के साथ जमीन के लिए भी बहुत हानिकारक हाेती है। जिस जमीन के अंदर अधिक मात्रा में पॉलीथिन काे दबाकर नष्ट किया जाता है। वह उस जमीन की उर्वरकता काे भी नष्ट कर देती है।

पॉलीथिन की वजह से भू -जल का स्तर गिरने के साथ पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। पॉलीथिन एक ऐसा वेस्ट है जिसके गलने में सैकड़ों साल लग जाते हैं। इसी प्रकार हम लाेग जाे काली पॉलीथिन काे न्यूज करते हैं। वह भी हमारे शरीर काे अधिक नुकसान पहुंचाती है। - डाॅ. विजय देवड़ा, एसोसिएट प्रोफेसर ऑफ केमिस्ट्री जेडीबी काॅलेज

​​​​​​​अवैध कारोबार : निजी बसों में लाई जा रही पॉलीथिन थैलियां
शहर में पॉलीथिन थैलियों का अवैध कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है। भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि इस अवैध कारोबार को करने वालों ने इसे मंगाने का ट्रेंड बदल दिया है। पहले पॉलीथिन ट्रकों में आ रही थी, ट्रकों पर एक-डेढ़ वर्ष पहले धरपकड़ हुई तो अवैध कारोबारियों ने ट्रकों से पॉलीथिन की थैलियां मंगाना बंद कर दिया।

अब प्राइवेट बसों से मंगाया जा रहा है। प्राइवेट बसों के लगेज बुक करवाकर पॉलीथिन की थैलियों से भरे बंडल रखवा दिए जाते हैं, इनके साथ कोई भी व्यक्ति हाेता। शहर में आने के बाद बस चालक या परिचालक संबंधित व्यक्ति को फोन कर देते हैं तो वह आकर ले जाता है।

​​​​​​​जुर्माने का है प्रावधान
शहर में 40 माइक्रोन से कम मोटाई की पॉलिथीन बैग के निर्माण व उपयोग पर प्रतिबंध है। नियम का पालन न करने वालों को आईपीसी की धारा 133 (बी) के तहत सजा मिल सकती है। इसके अलावा झारखंड म्युनिस्पैलिटी एक्ट की धारा 155 के तहत नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जुर्माना वसूलने का प्रावधान है।



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Ban on polythene, bags sold indiscriminately in the city, because the corporation did not take action for a year and a half
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