राजस्थान यूनिवर्सिटी में पूर्व कुलपति के कार्यकाल के दौरान शिकायतों की जांच रिपोर्ट का मामला फिर गरमा गया है। आरयू की सिंडिकेट में सरकार द्वारा नामित सदस्यों ने केसी वर्मा कमेटी की जांच रिपोर्ट को सदन में रखने की मांग की। ऐसा नही होने पर उन्होंने अपनी असहमति दर्ज करा दी, साथ ही सरकार को भी मामले से अवगत कराया।
इन सदस्यों में विधायक मुरारी लाल मीणा भी शामिल है। इनके अलावा प्रो. रामलखन मीणा, डॉ. प्रतिभा पाराशर, डॉ. आशा बागोटिया ने के सी वर्मा जांच रिपोर्ट के आधार पर विवादित मामलों की जांच की मांग की। वहीं सदस्य डॉ. दिलीप सिंह ने कहा कि 2018 में भर्ती शिक्षकों का स्थायीकरण किया जाए, लेकिन जो 4-5 लोग विवादित हैं उनके स्थायीकरण रोककर मामले की जांच कराई जाए।
सिंडिकेट सदस्य प्रो. रामलखन मीणा का कहना है कि राजभवन से जो पत्र आया था। उसमें लिखा था कि शिक्षकों के स्थायीकरण का प्रकरण यूनिवर्सिटी से संबंधित होने के कारण उसी के स्तर पर नियमानुसार निस्तारित किया जाना समीचीन होगा। इसलिए हम भी नियमानुसार केसी वर्मा जांच रिपोर्ट के आधार पर नियमों से प्रक्रिया शुरू करने की कह रहे हैं।
यह था मामला
पूर्व कुलपति प्रो. आर के कोठारी के कार्यकाल के दौरान भर्तियों, वित्तीय अनियमितताओं व अन्य मामलों में शिकायत मिलने पर राजभवन ने तत्कालीन संभागीय आयुक्त के सी वर्मा की एक कमेटी गठित की थी। कमेटी ने जांच करके रिपोर्ट राजभवन भेज दी थी। इसका हवाला देकर यूनिवर्सिटी ने 2018 में भर्ती शिक्षकों का 7 महीने तक स्थायीकरण नही किया। शिक्षक- रजिस्ट्रार के बीच विवाद हो गया। अब सिंडिकेट ने तो हरी झंडी दे दी है। लेकिन सरकार द्वारा नामित सदस्यों का कहना है कि जांच रिपोर्ट सिंडिकेट में खोलकर विवादित मामलों की जांच हो।
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