इन दिनों शहर की पीछोला और फतहसागर झील प्रवासी परिंदों से गुलजार है। टॉप तीन पर हैं- कूट, टफ्टेड पोचार्ड और गेडवाल। कॉमन पोचार्ड, नॉर्दर्न शॉवलर समेत दूसरी प्रजातियाें की भी खासी संख्या भी हैं। पक्षीविदों का कहना है कि इस बार इन मेहमान पक्षियों की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा है। वजह यह कि लॉकडाउन के कारण झीलों के अंदर और बाहर इंसानी गतिविधियाें पर अंकुश लगा है। पक्षीविद डॉ. सतीश शर्मा ने बताया कि इस बार प्रवासी पक्षियों को गत वर्षों के मुकाबले अधिक शांत परिस्थितियां मिली हैं। इसलिए पीछोला, खासकर इसके दक्षिणी और दक्षिणी-पश्चिमी भाग में इन परिंदों का ठहराव बढ़ा है।
पक्षीविद डॉ. कमलेश शर्मा ने बताया कि फतहसागर व पीछोला झील में स्थानीय पक्षी कूट्स व कॉर्मोरेंट के अलावा हिमालय पार मंगोलिया, तिब्बत, साइबेरिया, मध्य यूरोप से आए कॉमन पोचार्ड, टफ्टेड पोचार्ड, नॉर्दर्न शॉवलर, गेडवाल भी काफी संख्या में हैं। इन इलाकों में बर्फबारी से सबकुछ जम चुका है। इसलिए इन पक्षियों ने 3 हजार से लेकर 5 हजार किमी का फासला तय कर मेवाड़ सहित देश के अन्य इलाकों में डेरा डाला है। मकसद सर्दी से बचाव करना और कुनबा बढ़ाना है। इस मौसम में पेलिकन, ग्रे लेग गूज, बार हेडेड गूज, यूरेशियन विजन, पिनटेल, रडी शॅलडक भी मेवाड़ के जलाशयों पर आते हैं।
और हमारी संवेदनहीनता... झीलों में डाल रहे कांच-प्लास्टिक की बोतलें
पीछोला किनारे कचरे की भरमार है। प्लास्टिक और कांच की बोतलों के अलावा पाॅलीथिन भी बड़ी मात्रा में है। ये हालात इन मेहमान परिंदों के लिए घातक हैं। झीलों को साफ रखना प्रशासन का जिम्मा तो है, आमजन का भी दायित्व है कि झीलें गंदी न होने दें।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today Via Dainik Bhaskar https://ift.tt/1PKwoAf
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें