धीरे-धीरे रेलवे अब ट्रेनों का संचालन बढ़ा रहा है। जयपुर से भी रोजाना 50 ट्रेनों का संचालन हो रहा है और यात्री भार भी 40 हजार हो गया है। इन सबके बाद भी रेलवे साधारण और प्लेटफॉर्म जारी नहीं कर रहा है। प्लेटफॉर्म टिकट नहीं मिलने से अकेले यात्रा करने वाली महिला और बुजुर्ग यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि रेलवे बोर्ड के संयुक्त निदेशक (पीएम) विपुल सिंघल ने 8 दिसंबर को जोनल रेलवेज को अन रिजर्व टिकट जारी करने के निर्देश दिए थे लेकिन विवाद बढ़ने पर 48 घंटे में ही आदेश वापस ले लिया गया।
जयपुर के 2 हजार लोगों के एमएसटी टिकट का 10 लाख फंसा
जयपुर से अलग-अलग शहरों के बीच रोजाना यात्रा करने वाले 2 हजार लोगों का मार्च की एमएसटी का 5 लाख रुपए अटक गया है। जयपुर के आसपास के क्षेत्रों से हर दिन 50 हजार लोग काम के सिलसिले में आते-जाते हैं। इनमें से 40 फीसदी से भी अधिक लोग ट्रेनों से सफर करते हैं। अनलॉक के बाद काम शुरू तो हो गया लेकिन ट्रेनें नहीं चलीं। वहीं रेलवे ने इन सभी लोगों को अंतिम निर्णय होने तक रिफंड देने से फिललाल इनकार कर दिया है।
हर माह 7.50 करोड़ से अधिक का नुकसान
लॉकडाउन से पहले जयपुर स्टेशन से रोजाना करीब 25 लाख के अनरिजर्व टिकट बिकते थे। इससे रेलवे को हर माह करीब 7.50 करोड़ रुपए की आय होती थी। इसी प्रकार रोजाना 4 हजार प्लेटफॉर्म टिकट बिकते थे। इससे रोजाना 40 हजार रुपए रेलवे को मिलते थे। यानि हर माह 12 लाख और हर साल 1.46 करोड़ की आय होती थी। लेकिन पिछले 10 माह से यह आय शून्य है।
50 रुपए का प्लेटफॉर्म टिकट हो तो जरूरी लोग ही पहुंचेंगे
रेलवे अगर प्लेटफॉर्म टिकट की दर 10 रुपए से बढ़ा कर 50 रुपए करता है, तो इससे फायदे होंगे। पहला अनावश्यक लोग टिकट महंगा होने के कारण प्रवेश नहीं करेंगे। साथ ही इससे रेलवे को आय होगी, अकेले सफर कर रहे बुजुर्ग और महिला यात्रियों को सहूलियत होगी और आवागमन बढ़ने से रेलवे के वेंडर्स को भी फायदा होगा। उधर, अगर रेलवे कम दूरी (जयपुर-दौसा-बांदीकुई-अलवर) (जयपुर-फुलेरा-किशनगढ़-अजमेर) (जयपुर-रींगस-सीकर) के बीच लोकल किराए वाली सीटिंग चार्ज के साथ ट्रेनें चला दे। साथ ही एमएसटी को फ्रीज कर दें।
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