राजस्थान हाईकोर्ट की 29 अगस्त 1949 को सीजे सहित 12 जजों के साथ हुई स्थापना के 72 साल बाद भी स्वीकृत सभी पदों पर नियुक्तियां नहीं हो सकी हैं। हाईकोर्ट में स्वीकृत 50 पदों की तुलना में आधे से भी कम पदों पर जज हैं। फिलहाल सीजे इन्द्रजीत महान्ति सहित 23 जज ही हैं। हालांकि न्यायिक अधिकारी कोटे व वकील कोटे से हाईकोर्ट जज बनने के लिए बीस नामों की फाइल हाईकोर्ट कॉलेजियम ने केन्द्र को भेज रखी है।

ऐसे में हाईकोर्ट में कई दशकों से जजों की कमी के चलते लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ रही है। हाईकोर्ट में नवंबर 2020 तक लंबित केसों की संख्या पांच लाख से भी ज्यादा पहुंच गई है। दूसरी ओर, साल 2021 के अक्टूबर व नवंबर महीने में सीनियर जज जस्टिस संगीत राज लोढ़ा व जस्टिस गोवर्धन बाढ़दार का भी रिटायरमेंट है। ऐसे में इस साल यदि नए जजों की नियुक्तियां नहीं हुई तो हाईकोर्ट में सीजे सहित केवल 21 जज ही रह जाएंगे।

हर जज पर 22,387 केस का भार, 50 जज होते तो होते 10,298 केस

राजस्थान हाईकोर्ट में नए जजों की नियुक्तियां नहीं होने और पुराने जजों के रिटायरमेंट से सीजे सहित हर जज पर केसों का भार बढ़ता जा रहा है। हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्यपीठ में 2,02,895 केस और जयपुर पीठ में 3,12,025 केस लंबित हैं। यानी दोनों पीठों में 514920 मामले पेंडिंग हैं। हालत यह है कि मुख्य न्यायाधीश सहित हर जज पर 22,387 केसों का भार है। यदि स्वीकृत 50 पदों पर पूरे जज होते तो हर जज पर केवल 10,298 केसों का ही भार होता। ऐसे में जल्द नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई तो केसों का लगातार भार बढ़ता ही रहेगा।
जजों की नियुक्ति की समय सीमा तय हो, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम भी दिशा-निर्देश जारी करे
हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस पानाचंद जैन का कहना है हाईकोर्ट में जज की नियुक्ति के लिए समय सीमा तय हो। कोई जज रिटायर होने वाले हैं तो रिटायरमेंट से छह महीने पहले ही जजों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम भी खाली पदों पर जजों की नियुक्ति को लेकर दिशा-निर्देश जारी करे।

हाईकोर्ट जज बनने की प्रक्रिया में प्रशासनिक कार्य व्यवस्था में भी अनावश्यक देरी नहीं हो
बीसीआर के पूर्व चेयरमैन चिंरजीलाल सैनी व सीनियर एडवोकेट हनुमान चौधरी का कहना है कि हाईकोर्ट जज बनने की प्रक्रिया के दौरान प्रशासनिक कार्य व्यवस्था में भी अनावश्यक देरी नहीं हो। जजों की नियुक्ति के लिए टाइम बाउंड शैड्यूल बनाया जाए ताकि जजों की नियुक्ति समय पर हो सके।

यह है हाईकोर्ट जज बनने की प्रक्रिया
हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति न्यायिक अधिकारी व वकील कोटे से होती है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित दो अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों का कॉलेजियम नाम तय करता है। हाईकोर्ट कॉलेजियम तय नाम केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय और राज्य के गवर्नर व मुख्यमंत्री को भेजता है। राज्य सरकार हाईकोर्ट कॉलेजियम से आए नामों की राज्य की आईबी से जांच करवा कर अनुशंसा मंत्रालय भेज देती है।

केन्द्रीय विधि मंत्रालय में राज्य सरकार से भेजे गए नामों की पुन: आईबी से जांच करवाता है और जांच के बाद नामों को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों के कॉलेजियम को भेज देता है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम हाईकोर्ट जज के लिए नामों की अनुशंसा के बाद उन्हें पीएमओ भेज देता है और पीएमओ की अनुशंसा के बाद अंत में राष्ट्रपति हाईकोर्ट जज की नियुक्ति आदेश जारी करते हैं।



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5 लाख केस लंबित।
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