अगमगढ़ गुरुद्वारा बड़गांव की नींव रखने वाले संत तारा सिंह की सलाना बरसी शुक्रवार काे मनाई गई। इस दौरान दीवान भी सजाया गया। शबद कीर्तन हुए। इस मौके पर दरबार साहिब के हजूरी रागी भाई करनैल सिंह, कथावाचक भाई सरबजीत सिंह डोटिया और जत्था भाई मनबीर सिह ने साध संगत को गुरबाणी के अर्थ समझाकर निहाल किया।
गुरुद्वारा अगमगढ़ साहिब के मुख्य जत्थेदार बाबा लक्खा सिंह, जत्थेदार बाबा बलविंदर की अगुवाई में यह कार्यक्रम हुआ। सिख प्रतिनिधि साेसाइटी के अध्यक्ष तरुमीत सिंह बेदी ने बताया कि हाड़ाैती के समस्त इलाकों से संगत आई। पंजाब मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, गुजरात से भी संगत आई।
गुरु का अटूट लंगर बरता गया। कथावाचक सरबजीत सिंह डोटिया ने साध-संगत को समझाया कि सन्त बहुत होते हैं, लेकिन करोड़ों में एक सन्त होते हैं, जिनकी बरसी पर इतने बडे़ आयोजन होते हैं। गुरुबाणी में वर्णित है की सन्तों को गुरुओं ने खुद मान दिया है।
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