
कोरोना वैक्सीन लगाने का काम शुरू होने की पूरी तैयारी है। जयपुर में चल रहा को-वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल भी लगभग पूरा हो गया है। 1494 पर ट्रायल होने के बाद अब कंपनी को भी सभी सब्जेक्ट का पूरा डेटा सबमिट कर दिया जाएगा। तीन दिन बाद कंपनी के आला अधिकारी जयपुर पहुंचेंगे और पूरा फीडबेक लेने के बाद वैक्सीन के उपयोग पर अंतिम सहमति देंगे।
हालांकि को-वैक्सीन को प्रथम दृष्टया मंजूरी मिल चुकी है, और जयपुर में भी किसी सब्जेक्ट पर कोई अधिक साइड इफेक्ट सामने नहीं आया है। ऐसे में तय माना जा रहा है कि इस वैक्सीन को जयपुर से भी हरी झंडी मिल जाएगी। इन सब में चौंकाने वाली बात यह रही कि पूरे ट्रायल के दौरान एसएमएस अस्पताल के किसी भी डॉक्टर ने ट्रायल नहीं दिया। वहीं हजारों के नर्सिंग स्टाफ, लैब टेक्नीशियन या अन्य में से भी केवल तीन जनों ने ही ट्रायल दिया।
एसएमएस के किसी भी डॉक्टर की ओर से ट्रायल नहीं देना सभी को चौंका रहा है। इसके पीछे बताई जाने वाली वजहों में कई डॉक्टर्स का पॉजिटिव आना एक है। इस कारण से वे ट्रायल पर नहीं जा सके। दूसरी वजह में डॉक्टर्स का ट्रायल पर विश्वास नहीं था और तीसरी वजह में वे किसी भी निजी अस्पताल जाकर ट्रायल नहीं कराना चाहते थे। ऐसे में न केवल सीनियर डॉक्टर बल्कि रेजीडेंट और मेडिकल स्टूडेंट भी ट्रायल के नहीं गए।
^ एसएमएस से तीन नर्सिंग स्टाफ ने ही ट्रायल दिया है। ट्रायल का काम लगभग पूरा हो गया है और अब तीन दिन में कमेटी आएगी, जिसे रिपोर्ट सौंपी जाएगी। हर आयु के व्यक्ति ने ट्रायल दिया है जो कि काफी उत्साहजनक है।
डॉ. मनीष जैन, प्रिंसीपल इंवेस्टीगेटर, क्लीनिकल ट्रायल
इन्होंने दिखाया सबसे अधिक उत्साह
ट्रायल के लिए 18-30 आयु के 558 लोगों ने ट्रायल दिया। इसके अलावा 31 से 50 आयु के 704 लोगों ने ट्रायल दिया। यह संख्या काफी अधिक रही। इसमें भी 40 वर्ष से अधिक आयु के केस अधिक रहे। वहीं 51 वर्ष से अधिक उम्र के 232 लोगों ने ही ट्रायल दिया। वहीं सामने यह भी आया कि 55 वर्ष से अधिक आयु के काफी अधिक लोग ट्रायल के लिए आए लेकिन कोविड होने, डायबिटीज, कार्डियो, न्यूरो या अन्य कई दवाइयां चलते रहने की वजह से उनका ट्रायल नहीं किया जा सका।
इन्होंने भी दिया ट्रायल में सहयोग
कुल 70 डॉक्टर्स ने ट्रायल दिया और उनके परिवार के सदस्यों ने भी ट्रायल दिया। वहीं विभिन्न जगहों के 52 नर्सिंग स्टाफ, पेरामेडिकल स्टाफ भी वैक्सीनेशन ट्रायल का हिस्सा बने। एसएमएस के केवल तीन नर्सिंग स्टाफ आगे आया।
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