पूरे देश में हो हल्ला मच गया है कि मोदी ने तो ग़लत कर दिया , राजनीतिक पार्टियों को छूट दे दी , मोदी ऐसे कैसे काला धन मिटाएँगे , आम आदमी पर तो ढाई लाख के बाद जवाब देना पड़ेगा पर राजनीतिक पार्टियों के लिए छूट कर दी है ये तो ग़लत है ।

ये सब ऊपर लिखी बातें आजकल मीडिया में चल रही हैं और सब लोग मोदी जी पर गुस्सा निकाल रहे हैं जिन्हें ज़्यादा जानकारी नहीं है उनकी बात तो समझ में आती है पर मोदी भक्त भी इस मुद्दे पर ख़िलाफ़ बोलने लगे हैं । किसी की ग़लत बात की बुराई करने में कुछ भी ग़लत नहीं है लेकिन उससे पहले हमें सब कुछ जान लेने की ज़रूरत है ।

नम्बर एक 
बता दें कि देश के आयकर कानून (13A of the Income Tax Act, 1961 ) के अनुसार राजनैतिक पार्टियाँ आयकर मुक्त हैं । ये बात मोदी जी ने लागू नहीं की है ये पहले से ही लागू है हाँ ये बात ठीक है कि मोदी जी इसको बदल सकते हैं लेकिन उसके लिए लोकसभा और राज्यसभा से इसको पास करवाना पड़ेगा और नोटबंदी के इस मौक़े पर आपको लगता है विरोधी जो पहले से काले धन के लालच में सरकार का विरोध कर रहे हैं वो ऐसा कोई क़ानून पास होने देंगे वो भी तब जब मोदी सरकार के पास राज्यसभा में पूरे नम्बर नहीं हैं  । ज़रा सोचिए  ?मोदी सरकार ने पहले से बने हुए क़ानून की बात बस दोहराई है कुछ भी नया नहीं है ।

नम्बर दो 
इस घोषणा का मतलब यह नहीं है कि कोई भी राजनीतिक दल बिना हिसाब – किताब के पैसा जमा करा सकेंगे । ध्यान रहे कि सरकार ने चंदा देने की छूट पर बीस हज़ार की लिमिट लगा दी है यानी कि ऐसा नहीं है कि इंकम टैक्स की ये छूट असीमित रक़म पर राजनीतिक पार्टियों को मिलेगी बल्कि आपके लिए ये जान लेना आवश्यक है कि ये छूट केवल बीस हज़ार तक की डोनेशन या चंदे पर मिलेगी और साथ ही साथ हर बीस हज़ार चंदा देने वाले का पूरा हिसाब किताब दिखाना पड़ेगा । राजनीतिक पार्टियाँ घोटाले करने के लिए किसी का भी नाम लिखकर करोड़ों रुपए बीस बीस हज़ार चंदा तो दिखा सकती हैं लेकिन इतने सारे झूठे आधार कॉर्ड कहाँ से लाएँगी  ? इस बीस हज़ार के चंदे में रसीद भी देनी पड़ेगी और पैन कॉर्ड भी लगाना पड़ेगा ।

नम्बर तीन 

आपका कभी इंकम टैक्स वालों से पाला तो पड़ा ही होगा वो बड़े शातिर खिलाड़ी होते हैं , मोदी जी को भी आपने देख लिया होगा कि ये काले धन को लेकर कितने सीरीयस हैं ? जब इन्होंने काले धन को रोकने के लिए नोटबंदी जैसा बड़ा फ़ैसला कर लिया तो क्या आपको लगता है वे राजनीतिक पार्टियों को यूँ ही छोड़ देंगे ? जब अर्थशास्त्र और राजनीति के जानकारों तथा मोदी जी की कार्य शैली को क़रीब से जानने वालों से बात की गयी तो नाम गुप्त रखने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि हो सकता है मोदी सरकार ने ये घोषणा जानभूझकर की हो ताकि विरोधियों को फँसाने का आसान मौक़ा हाथ लग जाए । आपने वो कहावत तो सुनी होगी कि शिकार को पकड़ने के लिए चारा फेंकना पड़ता है , वहीं मोदी सरकार ने किया है वरना सोचिए मोदी जी को ये घोषणा करने की ज़रूरत ही क्यूँ पड़ी इसको मीडिया में देने की बजाय राजनीतिक पार्टियों को चुपचाप भी तो बताया जा सकता था क्यूँकि इसमें तो हर पार्टी का फ़ायदा ही है 

और आपको याद होगा कि अभी कुछ दिन पहले 50 -25 % पर भी बहुत हो हल्ला मचा था और लोगों ने कहा था मोदी जी ये ग़लत कर रहे हैं लेकिन उसके बाद देश में ईडी और इंकम टैक्स विभाग जिस तरह से रेड मारकर काला धन ज़ब्त कर रहा है वो आपके सामने ही है ।

हमारे आंकलन के हिसाब से अगर किसी पार्टी ने इस चक्कर में फँसकर पैसा जमा करवाया कि मोदी सरकार ने तो छूट दे ही दी है उसका ऐसा बुरा हाल किया जाएगा कि वो लोग राजनीति करना भूल जाएँगे , मोदी जी आउट ओफ़ बॉक्स थिंकिंग वाले नेता हैं आप लोग देखते जाइएगा असली खेल तब शुरू होगा अगर किसी पार्टी ने पैसे बीस बीस हज़ार कर जमा करवा दिए ।  income tax और ED वाले शातिर खिलाड़ी इतने सवाल पूंछेंगे कि झूठलाल , पप्पू जैसों को नानी याद आ जाएगी ।

विरोधी पार्टियों को बीस पचास हज़ार जमा करवाने से तो कोई फ़ायदा होगा नहीं अगर उन्हें इस छूट का लाभ लेना है तो कम से कम 10 हज़ार या 20 हज़ार ऐसे लोग चाहिए होंगे जिनके खातों से ऐसी ट्रांसफ़र करवायी जा सके और कौन इंकम टैक्स के चक्कर में फँसना चाहेगा 10-20 आदमी की बात होती तो अलग बात थीबड़ी मात्रा में काले धन को ठिकाने लगाने को कहाँ से बीस हजारी दाता और उसका पैन कार्ड आएगा , फ़र्ज़ी नाम तो आसानी से ये लोग ला सकते हैं पर फ़र्ज़ी पैन कार्ड कहाँ से आएगा ? और फिर जिसका पैन कॉर्ड  लगेगा , उसका रिकार्ड भी खंगाला जाएगा तो भैया वो तो आप भूल ही जाओ ।

हमें तो ये भी लगता है कि विपक्षी पार्टियाँ इस छूट का फ़ायदा उठाकर एक धेला भी जमा नहीं करवाने वाली बस मुद्दे को मीडिया में उछालकर मोदी सरकार को ख़ूब बदनाम किया जाएगा ।

By: Jindal on Saturday, December 17th, 2016

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