विश्राम का महत्व -
विश्राम का जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्व माना जाता है क्यों ? ऐसा इसलिए होता है कि जब हम पूरे दिन काम करते हैं तो हमारे शरीर के बहुत से सेल्स नष्ट हो जाते हैं और कुछ बाईप्रोडक्ट बनने लगते हैं जैसे- कैमिकल आदि। अब होगा क्या कि हम जितना ज्यादा काम करेंगे हमारे शरीर में उतना ही वेस्टप्रोडेक्ट बनता जाएगा लेकिन पूरी तरह व्यस्त रहने के कारण शरीर को उसे बाहर निकालने का समय ही नहीं मिल पाएगा। इसी को देखते हुए प्रकृति ने विश्राम करने का नियम बनाया है ताकि जब हम विश्राम करें तो हमारी सारी क्रियाएं बंद हो जाए और यह वेस्टप्रोडेक्ट बाहर निकल जाए।कई बार ऐसा भी होता है कि हम मानसिक या शारीरिक रूप से थक जाते हैं, कई बार काम के बोझ के कारण भी थकावट आ जाती है ऐसी स्थिति में विश्राम कर लेना ही उचित है। विश्राम के लिए श्वासन में लेटना सबसे उपयुक्त माना जाता है।
यदि अधिक मानसिक कार्य के कारण तनाव है तो ऐसे में भी श्वासन में लेट सकते हैं। लेकिन श्वासन में आप केवल घर पर ही लेट सकते हैं, ऑफिस में या कहीं बाहर नहीं लेट सकते। ऐसे में श्वासन के स्थान पर अंजनिमुद्रा का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे भी मानसिक तनाव दूर होता है।इसके लिए अपने हाथों को कटोरी की मुद्रा में बना लें, फिर आंखों को बंद करके एक हाथ से एक आंख को ढकें इससे माथे पर आपकी अंगुलियां आ जाएंगी। अब इसी तरह दूसरे हाथ को दूसरी आंखों पर टिकाएं जिससे माथेके ऊपर आपकी अंगुलियां आ जाएगी। दो से दस मिनट तक इस स्थिति में रहने के बाद आपकी सारी मानसिक परेशानी दूर हो जाएगी। इसके बाद अपने काम को शुरू कर सकते हैं।
यदि अधिक मानसिक कार्य के कारण तनाव है तो ऐसे में भी श्वासन में लेट सकते हैं। लेकिन श्वासन में आप केवल घर पर ही लेट सकते हैं, ऑफिस में या कहीं बाहर नहीं लेट सकते। ऐसे में श्वासन के स्थान पर अंजनिमुद्रा का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे भी मानसिक तनाव दूर होता है।इसके लिए अपने हाथों को कटोरी की मुद्रा में बना लें, फिर आंखों को बंद करके एक हाथ से एक आंख को ढकें इससे माथे पर आपकी अंगुलियां आ जाएंगी। अब इसी तरह दूसरे हाथ को दूसरी आंखों पर टिकाएं जिससे माथेके ऊपर आपकी अंगुलियां आ जाएगी। दो से दस मिनट तक इस स्थिति में रहने के बाद आपकी सारी मानसिक परेशानी दूर हो जाएगी। इसके बाद अपने काम को शुरू कर सकते हैं।
अब जो नींद है वह रात के समय बहुत जरूरी है। जितनी गहरी नींद आएगी उतना ज्यादा हमारा शरीर डिटॉक्सीफाई होगा और जितना ज्यादा शरीर डिटॉक्सीफाई होगा उतनी ज्यादा फ्रेशनेश रहेगी।यदि रात को पेशाब करने या पानी पीने के लिए उठ गए तो इसका अर्थ है कि आपको गहरी नींद नहीं आई है। भोजन में जितना ज्यादा वेस्टप्रोडेक्ट होगा उतनी गहरी नींद आएगी लेकिन यह आलस्य वाली नींद होगी। स्टूडेंट, डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट आदि जिन्हें अधिक मानसिक कार्य करना पड़ता है, अधिक देर तक जागना पड़ता है। ऐसी व्यक्तियों को नैचुरल डाईट पर रहना चाहिए ताकि शरीर में वेस्टप्रोडेक्ट कम बने।अगर वेस्टप्रोडेक्ट शरीर में कम बनेगा तो नींद भी आवश्यकता से कम आएगी। हम क्या करते हैं कि अक्सर नींद को खत्म करने के लिए चाय-कॉफी का इस्तेमाल करते रहते हैं। लेकिन इसके स्थान पर फलाहार ले लिया जाए तो वेस्टप्रोडेक्ट बिल्कुल ही कम हो जाएंगे और शरीर को कोई नुकसान भी नहीं होगा। यदि कोई फंक्सन है, शादी-पार्टी और देर रात तक जागना हो तो सुबह से ही फलाहार, जूस आदि लेना शुरु कर दें। इससे न आलस्य आएगा और न ही थकावट होगी।
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