सीकर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले 11वे शासक राव राजा कल्याण सिंह की शनिवार को 134वीं जयंती है। कल्याणसिंह के जीवन से जुड़ी छोटी-छोटी बातें आज भी लोगों के बीच चर्चा में रहती है। क्योंकि राव राजा ने शासक के बजाय सेवक बनकर सीकर की सेवा की थी। उन्होंने अपने शासन के 25 साल पूरे होने पर सिल्वर जुबली मनाई।

इस दौरान अपने जन्म दिन पर ही राव राजा ने कल्याण सर्किल का शिलान्यास किया और रानी महल के सामने से जाने वाली रोड को सिल्वर जुबली नाम दिया। दैनिक भास्कर ने अतीत के पन्नों से राव राजा कल्याण सिंह के जन्म दिन के स्मरण जुटाए। राव राजा का जन्म दिन यहां की प्रजा के लिए क्यों खास होता था।

इतिहासकार महावीर पुरोहित बताते हैं कि लगान माफी और सजा कम करवाने के लिए लोग कल्याणसिंह का जन्मदिन आने का इंतजार करते थे। ताकि उन्हें कुछ छूट मिल सके। कल्याणसिंह ऐसे शासक थे, जिनके कार्यकाल में पहली और आखिरी बार कोई विदेशी राष्टाध्यक्ष सीकर आए। 9 सितंबर 1959 को नेपाल सम्राट महेंद्र सीकर आए थे।

जन्मदिन पर सीकर स्टेट में सार्वजनिक छुट्‌टी, सेठ साहुकार देते थे सोने-चांदी की गिन्नी
राव राजा के जन्मदिन पर सीकर राज में सार्वजनिक छुट्‌टी होती थी। राव राजा का अभिषेक होता था। गोपीनाथ मंदिर में दर्शन के बाद वे आगे के काम शुरू करते थे। खुद के वजन के बराबर अनाज आदि जरूरतमंदों को बांटते थे। वहीं सेठ साहुकार और अफसर भेंट स्वरूप (नजर) राजा को सोने-चांदी की गिन्नी देते थे। जिसे राव राजा स्पर्श करके राज के खाते में जमा करवा देते थे।

जन्मदिन पर लगान नहीं चुका पाने वाले गरीब किसानों को लगान से मुक्त करते थे। बशर्ते वह लगान चुका पाने में असमर्थ हो। ऐसे अलग-अलग मामलों में सजा पाने वाले कैदियों के अच्छे आचरण पर सजा में छूट की अरजी पर सुनवाई होती थी। कल्याण पहले शासक थे, जिन्होंने अपनी दो मूर्तियां बनवाई थी।

पहली मूर्ति गढ़ परिसर तथा दूसरी कृष्ण सत्संग भवन के पास बने नजर बाग में लगाई गई थी। सीकर के 11 शासकों में से सिर्फ कल्याण सिंह की ही प्रतिमा लगी है।

दीपपुरा के ठाकुर के घर हुआ था कल्याणसिंह का जन्म
राव राजा कल्याण सिंह का जन्म 20 जून 1886 को दीपपुरा के ठाकुर वलाबसिंह के घर हुआ था। जो सीकर के राजा माधवसिंह के भाई थे। माधवसिंह के कोई संतान नहीं होने पर उन्होंने भतीजे कल्याणसिंह को गोद लिया। किशोर अवस्था तक वो दीपपुरा में रहे। सामान्य साक्षर होने के बावजूद वे शासन के कामकाज से वाकिफ हो गए थे।

9 जुलाई 1922 को राव राजा का राज्याभिषेक हुआ। 31 साल 11 महीने तक उन्होंने शासन किया। समाज सेवी जानकी प्रसाद इंदोरिया ने बताया कि राव राजा को बच्चों से बहुत स्नेह था। वे किसी स्कूल के बाहर खड़े ठेले को बच्चों से लुटवा देते थे। ठेले वाले के नुकसान की पूर्ति दो गुना पैसे से करते थे।



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9 जुलाई 1922 को राव राजा कल्याणसिंह का राज्याभिषेक हुआ। ये तस्वीर उसी दिन की है।
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