जेडीए और हाइवे की हैंडओवर की गई लाइटों के 30 लाख रुपए से ज्यादा के बिल आने के मामले में निगम के बिजली शाखा के अधिकारियों ने चुप्पी साद ली है। दरअसल एक सप्ताह पहले निगम के एफए ने यूओ नोट बनाकर विद्युत शाखा के एसई से जवाब मांगा था कि लाइटे किस आधार पर और किन शर्तों पर हैंडओवर की गई थी। दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किस के थे और बिलाे का भुगतान करने में आपत्ति जताई थी।

यूओ नोट का अभी तक निगम के बिजली शाखा के अधिकारियों ने जवाब नहीं दिया है। ऐसे में अफसरों की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे है। उधर, हैंडओवर की गई लाइटों की जांच की फाइल को अंतिम निर्णय होने से पहले ही विजिलेंस शाखा के अधिकारी फाइल को दबाकर बैठ गए और खानापूर्ति करने लगे है।

22129 लाइटें हैंडओवर की थी

नगर निगम ने पिछले डेढ़ साल में जेडीए द्वारा 89 जगहाें पर लगाई गई 22129 लाइटाें का गुपचुप ही हैंडओवर कर ली। इन लाइटाें का मेंटिनेंस उसी फर्म से कराना था, जिस फर्म ने लगाई थी। लेकिन निगम के अफसराें ने खुद के फायदे के लिए लाइटाें के मेंटिनेंस का टेंडर किसी और फर्म काे दे दिया।

ऐसे में निगम के अफसराें की कार्यशैली पर सवाल खड़े हाेने लगे। अब इन लाइटाें के मेंटिनेंस के लिए हर साल निगम काे फर्म काे टेंडर देने पडेंगे। जेडीए द्वारा सिविल लाइन जाेन, सांगानेर जाेन, हवामहल ईस्ट, हवामहल वेस्ट, विश्वकर्मा, आमेर, झाेटवाड़ा समेत अन्य जगह अलग-अलग फर्माें से एलईडी लाइटें लगाई थी।



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