मंगलवार काे एक बार फिर 80 नए काेविड राेगी सामने आए हैं। एक व्यक्ति की साेमवार देर रात माैत हाे गई। ऐसे में बीकानेर में अब तक 1869 पाॅजिटिव सामने आ चुके हैं, जिनमें से 43 की माैत हाे गई। तीन अप्रैल से शुरू हुआ काेविड पाॅजिटिव और माैताें का यह सिलसिला सबसे ज्यादा जुलाई में बढ़ा है।
वजह भी माेटे ताैर पर जाे सामने आ रही है, वह है जून के आखिरी सप्ताह में बड़ी तादाद में हुई शादियां, आयाेजन आदि। यहां से शुरू हुआ सिलसिला इस तरह चेन बना गया कि परकाेटे के बड़े हिस्से में जीराे माेबिलिटी का कर्फ्यू 15 दिन तक लगाना पड़ा। काेविड के लिहाज से जुलाई का महीना सर्वाधिक जानलेवा रहा। हर दिन एक माैत औसतन अब तक हाे रही है।
इतना ही नहीं इस महीने में अब तक 1535 नए पाॅजिटिव आ चुके हैं, जबकि इससे पहले 30 जून तक 334 पाॅजिटिव राेगी थे। राेगियाें की संख्या बढ़ने का एक कारण संक्रमण के साथ जांच की रफ्तार बढ़ाना भी है। बीकानेर में एक जुलाई तक 30798 सैंपल लिए गए थे जबकि 28 जुलाई तक यह आंकड़ा 64406 तक पहुंच गया।
100 में से 5 की माैत हाे रही थी जून तक, अब 2 मौतें
- जून तक 334 पाॅजिटिव रिपाेर्ट हुए जिनमें से 15 की माैत हाे गई। मतलब यह कि 4.49 के लिहाज से लगभग साै पाॅजिटिव व्यक्तियाें में से पांच की माैत हाे रही थी।
- जुलाई में अब तक 1535 पाॅजिटिव जिनमें से 28 की माैत हाे गई। मतलब यह कि प्रत्येक 100 पाॅजिटिव व्यक्तियाें में से दाे लाेगाें की माैत हाे रही है।
- अब तक पाॅजिटिव हुए राेगियाें में से माैताें का आंकड़ा देखें ताे 1869 में से 43 यानी 2.3 फीसदी मृत्यु दर।
कलेक्टर बोले-लगातार रिव्यू करेंगे, बहुत जरूरी हुआ तभी कर्फ्यू-अनलाॅक
कलेक्टर नमित मेहता का कहना है, हर दिन रिव्यू कर रहे हैं। मंगलवार काे भी मीटिंग में कई निर्णय हुए हैं। हालांकि सरकार ने कहा है कि जिन जिलाें में संक्रमण का स्तर बढ़ता दिखे, वहां लाॅकडाउन का निर्णय ले सकते हैं लेकिन अभी इस पर काफी रिव्यू करेंगे। अत्यधिक जरूरी हुआ तभी लाॅकडाउन या कर्फ्यू जैसे निर्णय लेंगे।
इसके लिए जरूरी है कि लाेग सतर्क रहें। जिला स्तर पर निगरानी समिति बना दी है। काेविड हास्पिटल में सीसी टीवी कैमरे लगाने, हेल्प डेस्क तुरंत शुरू करने काे कहा है। हर दिन जांच रिपाेर्ट मिल जाए इसके लिए सीएमएचओ, सुपरिटेंडेंट, माइक्राेबायोलाॅजी विभाग काे मीटिंग कर समन्वय बनाने काे कहा है।
- पाॅजिटिव राेगियाें की तुलना में माैताें का आंकड़ा काफी नीचे आया है। इसे और कम करने के लिए अब नई दवाइयां, विधियां भी उपयाेग में ले रहे हैं। बस, जरूरत इतनी है कि लाेग थाेड़ी भी आशंका हाेते ही जांच करवा लें। स्थिति जटिल हाेने के बाद इलाज काफी मुश्किल हाे जाता है। -डॉ. मोहम्मद सलीम, सुपरिटेंडेंट, पीबीएम हॉस्पिटल
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