राज्य सरकार 26 दिन बाद भी नगर निगम में पूर्णकालिक आयुक्त की नियुक्ति नहीं कर पाई है। इस वजह से वेतन सहित अन्य सभी प्रकार के भुगतान को लेकर संकट खड़ा हो गया है। राज्य सरकार ने 2 जुलाई को आयुक्त का तबादला किया था।
कलेक्टर ने यूआईटी सचिव को निगम का अतिरिक्त चार्ज दे दिया, लेकिन प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार नहीं होने से कर्मचारियों के वेतन बिलों पर साइन नहीं हो पा रहे हैं। वेतन बिल माह की 20 तारीख से बनने शुरू हो जाते हैं। लेकिन इस बार आठ दिन बीत चुके हैं। इसी प्रकार परिवीक्षा काल पूरा कर चुके 390 सफाई कर्मचारियों का स्थायीकरण अटका पड़ा है।
पानी, बिजली सहित विभिन्न प्रकार के भुगतान नहीं हो पा रहे हैं। अखिल भारतीय सफाई मजदूर कांग्रेस के प्रदेश सचिव चंद्रशेखर चावरिया, जिला मंत्री सतीश, सुरेश वाल्मीकि व नगर अध्यक्ष राजन जेदिया ने स्वायत्त शासन विभाग को पत्र लिखकर निगम में पूर्णकालिक आयुक्त लगाने या सक्षम अधिकारी को आहरण-वितरण के अधिकार देने की मांग की है। चंद्रशेखर ने लिखा है कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन, ग्रेज्युटी सहित अन्य सेवा संबंधी भुगतान नहीं हो पा रहे।
इधर, कार्यवाहक आयुक्त से शिकायत-सस्पेंड करने की चेतावनी देकर नालों में उतार रहे...कार्रवाई नहीं की तो आंदोलन
नगर निगम के सफाई कर्मचारियों ने आरोप लगाया है अफसर सस्पेंड करने का कहकर सीवर और नालों में उतरने के लिए मजबूर कर रहे हैं। जमादार एकता संघ ने आयुक्त को ज्ञापन देकर बताया कि 25 जुलाई को सर्किल इंस्पेक्टर और वार्ड पार्षद की मौजूदगी में कर्मचारियों को बिना कपड़े नाले में उतार दिया। कोरोना के कारण एक कर्मचारी ने मना किया तो उसे सस्पेंड करने की धमकी दी गई।
पार्षद के मार्फ़त कलेक्टर से झूठी शिकायत करवाई। संघ के अध्यक्ष गणेश चंदेलिया, राजकुमार चांगरा, गजराज, विनोद चांवरिया, सन्नी राहुल नवरत्न, अर्जुन, मुकेश आदि ने कार्यवाहक आयुक्त से अनुचित दबाव डालने वाले अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है। कर्मचारियों ने आयुक्त को ज्ञापन देकर कहा कि इस मामले में यदि जल्द ही कोई न्यायोचित कदम नहीं उठाया तो मजबूरन आंदोलन करना पड़ेगा।
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