माध्यमिक शिक्षा बाेर्ड की ओर से मंगलवार काे दसवीं बाेर्ड का परिणाम जारी किया गया। जिले का कुल परिणाम 78.99 फीसदी रहा। पिछली बार जिले के परिणाम में जहां 0.42 फीसदी गिरावट हुई थी, वहीं इस बार 1.49 फीसदी का सुधार देखा गया। इस बार बेटाें का प्रदर्शन जबर्दस्त रहा। 79.17 प्रतिशत के साथ बेटाें ने बेटियाें काे पछाड़ दिया। इस बार 78.78 प्रतिशत छात्राएं उत्तीर्ण हुईं।

इधर, प्रदेश में भी हमारा जिला एक स्थान के साथ के साथ 19वीं रैंक पर पहुंच गया। बेटियाें के परिणाम में प्रदेश में हम 21वें स्थान पर रहे। वहीं, बेटाें ने इस बार बाजी मारते हुए 17वां स्थान प्राप्त किया। जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक जगदीशचंद्र राठाैड़ ने बताया परिणाम में पिछले साल के मुकाबले सुधार हुआ है।

रिजल्ट विश्लेषण
प्रदेश का 0.78 फीसदी रिजल्ट सुधरा, गणित व विज्ञान ने इस बार भी राेका

1. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बाेर्ड की ओर से इस बार परिणाम में पिछले साल के मुकाबले 0.78 फीसदी सुधार हुआ। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी गणित व विज्ञान बच्चों के लिए फाेबिया बना रहा। इसके चलते परिणाम में ज्यादा सुधार नहीं हुआ।
2. गणित का 85.63 व विज्ञान का 90.44 फीसदी रहा परिणाम: इस बार जिले सहित प्रदेशभर में परिणाम ठीक रहा। लेकिन गणित में 85.63 फीसदी ही बच्चाें पास हुए। वहीं, विज्ञान वर्ग में 90.44 फीसदी ही पास हुए।
3. संस्कृत 97.60 व हिंदी 96.61 फीसदी बच्चाें ने मारी बाजी : इस बार संस्कृत विषय व हिंदी में बच्चाें ने औसत से कई अधिक अंक प्राप्त किए। संस्कृत में जहां 97.60 फीसदी परिणाम रहा। वही हिंदी में भी 96.61 फीसदी अंक प्राप्त किए। इसके साथ ही अंग्रेजी 93.18 फीसदी, सामाजिक विज्ञान में 93.67 फीसदी बच्चाें ने पास हुए।

हिमांशी 97.17% पिता का निधन, मां ने दूसरी शादी की, स्कूल ने निशुल्क पढ़ाया

हिम्मत नगर की रहने वाली हिमांशी के बचपन में ही पिता का निधन हाे गया। मां ने दूसरी शादी कर ली। हिमांशी जब तक समझ पाती उसके ऊपर चुनाैतियां का पहाड़ टूट पड़ा। लेकिन हिमांशी के दादा सत्यनारायण व चाचा-चाची के पास रहकर इन चुनाैतियां का सामना करना सीखा। वंदेमातरम स्कूल ने भी बेटी हिमांशी काे निशुल्क पढ़ाने का निर्णय लिया। हिमांशी ने दिनरात मेहनत कर 10वीं परीक्षा में 97.17 फीसदी अंक प्राप्त कर घर परिवार सहित स्कूल का नाम राेशन किया।

इस बार गणित व विज्ञान विषय में बच्चाें के पेपर बिगड़े, वहीं हिमांशी ने दाेनाें विषयाें में 100 में से 100 नंबर लेकर आई। अब हिमांशी अपने परिवार के सपने काे पूरा करने के लिए डाॅक्टर बनना चाहती है। हिमांशी बताती है कि कभी पिता-मां की याद आती है ताे दादा दादी व चाचा चाची से बातें कर लेती हूं। वे ही उसके लिए सबकुछ हैं।

वैभव पुराेहित 96.33% पिता का सपना पूरा करने वैभव दिन-रात करता पढ़ाई

जागकर सपने देखना और उन्हें सच करना हर किसी के बस की बात नहीं हाेती, लेकिन इसे सच किया वैभव ने। मन में बस एक ही धुन कि पिता के सपने काे पूरा करना है। पिता जगदीश पुराेहित एक बड़ी कंपनी में मैनेजर थे, लेकिन कुछ साल पहले उनके निधन के बाद मां प्रमिला राजपुराेहित ने वैभव काे संभाला।

वैभव जब मां काे मेहनत करते देखता ताे बस ठान लिया कि उसे भी आगे जाकर बड़ा आदमी बनना है और पिता का सपना पूरा करना है। इसके चलते दिन-रात एक ही काम, बस पढ़ाई। वैभव सिंदरली गांव के रहने वाले हैं तथा सादड़ी के देहली काॅन्वेंट सीनियर सैकंडरी स्कूल में पढ़ाई करते हैं। दिन-रात पढ़ाई करके 96.33 प्रतिशत अंक लाए। स्कूल स्टाफ ने भी उनकी काफी मदद की। वैभव की सफलता पर परिवार ने अभिनंदन किया।



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One place improvement over last year in the state, shift to 19th place with 78.99%
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