साल के शुरुआत में साइकिल खराब हाे गई थी। इसके बाद राेजाना 1.5 किलाेमीटर पैदल चलकर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बनवाली जाता और पढ़ाई करता था। लगन से पढ़कर 96.67 प्रतिशत अंक हासिल किए। अब नाॅन मेडिकल लेकर इंजीनियर बनना है। आगे चलकर आईआईटी में दाखिला लेना है। इसके लिए अभी से आईआईटी की तैयारी शुरू कर दी है। परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा ठीक नहीं है बस घर खर्च निकल जाता है। बड़ी बहन माेनिका बीएलएड की तैयारी कर रही है। पिता सुभाष चंद्र सेवटा पठानवाला में निर्माणाधीन अपना घर आश्रम में मजूदरी का काम करते हैं। पापा अपनी कड़ी मेहनत की कमाई से हमारे सपनाें काे संजाेने में जुटे हुए हैं। मम्मी शारदा देवी घर का काम देखती हैं। मेरा भी एक ही सपना है कि जल्द से जल्द इंजीनियर बनकर पापा काे आराम करवाना है। जैसा कि आशीष ने बताया
सुमित 96.33%: पिता सरकारी टीचर इसलिए अपने ही स्कूल में पढ़ाया
^मेरे पिता पाेखरराम सिंगाटिया सरकारी टीचर हैं अाैर मुझे भी सरकारी स्कूल में पढ़ने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद इसी स्कूल में अनुभवी शिक्षकाें के मार्गदर्शन में पढ़ाई शुरू की अाैर राउमावि गाेपालसर में 96.33 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। मुझे नवाेदय विद्यालय की कक्षा 9 में भी प्रवेश मिला था। बाद में मैंने यह स्कूल छाेड़कर सरकारी में दुबारा दाखिला लिया। मेरे पापा का मुझे सरकारी स्कूल में पढ़ाने के निर्णय ने एक ताे उन लाेगाें काे जवाब दिया, जाे लाेग कहते रहते थे कि सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक अपने बच्चाें काे निजी स्कूलाें में पढ़ाते हैं अाैर दूसराें के बच्चाें काे सरकारी स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं। मेरे पिता का कहना है कि सरकारी स्कूलाें में जितने अनुभवी शिक्षक है उतने शायद निजी स्कूलाें में भी नहीं है। मैं अब नाॅन मेडिकल विषय लूंगा अाैर अाईअाईटी में दाखिला लेना है। मम्मी निर्मला कुमारी भी एमए बीएड है। मम्मी प्रथम श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के परिणाम का इंतजार कर रही हैं। मेरा बड़ा भाई हिमांशु सीकर में नीट की तैयारी कर रहा है।
जैसा कि सुमित सिंगाटिया ने भास्कर को बताया
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